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केयू में विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन, कुलपति ने कहा-जो शास्त्र मोक्ष की ओर ले जाए वह ज्ञान और जो आजीविका की ओर ले जाए वो विज्ञान

जमशेदपुर : कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा में कुलपति प्रो. (डॉ) गंगाधर पांडा की अध्यक्षता में और विभागाध्यक्ष डॉ अर्चना सिंह के संयोजन में वेद-विज्ञान और समाज विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. (डॉ) गोपाल कृष्ण दास, पूर्व अध्यक्ष स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग, उत्कल विश्वविद्यालय वाणी विहार भुवनेश्वर व प्रो. (डॉ) किशोर मिश्र, पूर्व अध्यक्ष स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी उपस्थित हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंगलाचरण और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। वैदिक मंगलाचरण अष्टमी महतो एवं स्वागत गीत शिक्षा सहायिका मनीषा बोदरा ने किया। अतिथियों के स्वागत के बाद डॉ. अर्चना सिंह ने विषय प्रवेश किया। सबसे पहले डॉ. मिश्रा ने वेद का उल्लेख करते हुए उनमें निहित ज्ञान को मानव कल्याण के लिए सर्वोपरि बताया। वहीं विज्ञान के प्रभाव और दुष्प्रभाव को दोनों ही दृष्टिकोण से उल्लेख किया। उन्होंने संस्कृति एवं समाज के संबंध में कहा कि भारत एक बहुसांस्कृतिक देश है, जो भी यहां जन्म लेता है वह ऋणी ही होता है। चाहे वह देव-ऋण, पितृ-ऋण या समाज ऋण हो और उस ऋण से मुक्त होने के लिए हमें कर्तव्य पथ पर चलने की आवश्यकता है। डॉ. दास ने अपने संबोधन में कहा कि वेद में निहित वाणी को घर-घर तक पहुंचाने की आवश्यकता है और योग भारत की उन्नति है वेद, यज्ञ और योग से ही समस्त भारत की उन्नति है। वेद में निहित मंत्रों की शाब्दिक व्याख्या एवं महत्व को काफी सरल ढंग से समझाया। अंत में अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो.पांडा ने वेद का उल्लेख करते हुए कहा कि वेद शाश्वत एवं सनातन है, जबकि विज्ञान परिवर्तनशील है।

जो शास्त्र मोक्ष की ओर ले जाए वह ज्ञान और जो शास्त्र आजीविका की ओर ले जाए, वही विज्ञान है। इस कार्यक्रम में मुख्य सलाहकार के रूप में मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ. सत्यप्रिय महालिक ने भी इस विषय में अपना विचार साझा करते हुए वेद एवं समाज की महत्व पर प्रकाश डाला। इस आयोजन में पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ.तापेश्वर पांडे, संस्कृत विदुषी डॉ. प्रमोदिनी पंडा, डॉ. तपन खांड्रा, डॉ. संजय यादव, डॉ. एस. के.सिंह, संतोष कुमार, सीसीडीसी डॉ. मनोज महापात्रा समेत कई प्राध्यापक उपस्थित थे। काफी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित हुए। मंच संचालन डॉ. अर्चना सिन्हा एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. तापेश्वर पांडे ने किया। इस व्यख्यान को सफल करने में सह संयोजिका दांगी सोरेन और मनीषा बोदरा की सराहनीय भूमिका रही।

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