जमशेदपुर : जिले में शनिवार को अक्षय नवमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर महिलाओं ने विभिन्न स्थानों पर एकत्रित होकर सामूहिक आंवले के पेड़ को मूली, खिचड़ी, बैंगन, जल, दुध, धूप दीप, नैवेद्य, आदि चढ़ा परिक्रमा कर पूजा की। साथ ही भजन गाकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। महिलाओं ने कहा कि हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षय नवमी मनाई जाती है। सुदामा देवी और ममता देवी आदि ने बताया कि इस पर्व को आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि से द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था।
पौराणिक मान्यता के अनुसार पृथ्वी लोक में इस नवमी पर लक्ष्मी माता ने भगवान विष्णु और भोले नाथ की उपासना आंवले के रूप में की थी। आंवले में भगवान विष्णु और भोले नाथ निवास करते हैं। नवमी के दिन जो भी आंवले के पेड़ की परिक्रमा कर पूजा करता है, उसे इच्छित फल की प्राप्ति होती है। पूरे कार्तिक मास में आंवला के पेड़ को पूजने का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय प्रसन्न होकर भक्तों को उसकी अभिलाषा पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं। इस पर्व पर आवले के वृक्ष की पूजा फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस पर्व पर आंवले की पूजा पुष्प धूप दीप नैवेद्य से की जाती है। पूजन के बाद वृक्ष की आरती करके परिक्रमा करनी चाहिए।