असर्फी अस्पताल ले जाते-जाते रास्ते में ही दम तोड़ दिया नवजात ने : सूचना के बाद भी स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी ने नहीं ली सुध
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मिरर मीडिया : कोशिश के बाद भी कतरास से बरामद नवजात को नहीं बचाया जा सका। बेहतर इलाज़ के लिए SNMMCH से असर्फी अस्पताल ले जाने के क्रम में रास्ते में ही नवजात ने दम तोड़ दिया।
बता दें कि डॉक्टर का कहना था कि बच्चे की स्थिति गंभीर है। सांस लेने में परेशानी हो रही है। माथे पर प्रेसर है। तुरंत वेंटिलेटर की आवश्यकता है जबकि दूर ले जाने की स्थिति नहीं है। वहीं जिला समाज कल्याण पदाधिकारी स्नेह कश्यप और सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष उत्तम मुखर्जी ने तत्काल असर्फी में वेंटिलेटर सपोर्ट दिलाने का निर्देश दिया था जिसके बाद अधिकारी आनंद कुमार बच्चे को लेकर असर्फी जा रहे थे और असर्फी पहुंचने के पहले ही बच्चे का डेथ हो गया। नवजात जिंदगी की जंग में हार गया और उसकी सांसे थम गई। फिलहाल शव असर्फी में है। और कल पोस्टमार्टम की प्रक्रिया होगी। जबकि CWC के अनुसार दफ़न की प्रक्रिया कल सोमवार को की जाएJabki
CWC के कहने के बावजूद स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी ने कोई रिस्पांस नहीं लिया उनके प्रोजेक्ट मैनेजर ने मामला संज्ञान में आने के बाद एक बार भी अस्पताल नहीं गया। जबकि कतरास थाना के SI शंकर रजक द्वारा मैनेजर को इस बाबत फोन द्वारा सूचना दे दिया था। हालांकि अगर स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी ने त्वरित संज्ञान में लेते हुए आवश्यक कार्रवाई की होती तो शायद नवजात की जान बचाई जा सकती थी। वहीं सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष उत्तम मुखर्जी ने कहा कि अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हटते हुए स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी के मैनेजर ने कहा कि बच्चा मेडिकल फिट होने के बाद ही वो होने सुपुर्द लेगा।
वहीं नियमों के मुताबिक बच्चें की अंत्योष्टि (दफन) के समय स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी का प्रतिनिधि का मौजूद रहना आवश्यक है हालांकि सूचना के बाद भी जब किसी ने सुध नहीं ली तो दफन के समय की उपस्थिति देखने वाली बात होगी। जबकि सूत्रों कि माने तो स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी के रजिस्ट्रेशन की अवधि समाप्त हो चूकी है। बता दें कि ऐसे सारे बच्चों को स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी को ही देखरेख करने की जिम्मेवारी होती है।