टोक्यो ओलंपिक : ऐसा रहा खेलों के महाकुंभ में भारत का सफर, स्टारडम से दूर रहे खिलाड़ियों ने मारी बाजी

Manju
By Manju
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जमशेदपुर : टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय टीम के शानदार प्रदर्शन में कामयाबी वैसे खिलाड़ियों के हिस्से आयी, जो स्टारडम से दूर रहे। जापान की राजधानी टोक्यो में 23 जुलाई से शुरू हुए महाखेल कुंभ का समापन हो चुका है। भारत ने टोक्यो ओलंपिक में अब तक कुल 7 पदक जीते हैं। जिसमें एक स्वर्ण दो रजत और चार कांस्य हैं। भारतीय टीम की यह उपलब्धि सवा सौ खिलाड़ियों के दल की है। 140 करोड़ के भारत के लिए यह उपलब्धि कितनी मामुली है, यह हम सोच सकते हैं। मात्र 34000 की आबादी वाला इटली के पास बसा एक छोटा सा देश सान मैरिनो ने टोक्यो में पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लेते हुए एक रजत और दो कांस्य जीता है। यह बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि इसी देश के खिलाड़ी ने हमारे देश के बजरंग पुनिया को सेमीफाइनल मुकाबले में हराया है। बहरहाल ओलंपिक से पहले बड़े-बड़े खबरिया चैनल और हमारे राजनेता जिस तरह से पदक के बारे में लंबे चौड़े दावे किए थे। उन्हें यह याद करने का दिन है। तभी हम अपने प्रदर्शन में सुधार कर सकेंगे और अपने कमियों को खोज पाएंगे ।

सबसे पहली बात इस महा खेलकुंभ में हारे हैं जो स्टारडम के चक्कर में अपने प्रदर्शन को सुधारने और इसके लिए प्रयास करना भूल गए थे। इसमें कुछ नाम प्रमुख है धनुर्धर दीपिका कुमारी, अतनु दास, निशानेबाज मनु भाकर ,सौरभ चौधरी ,मेरी कॉम, सानिया मिर्जा और विनेश फोगाट। टोक्यो ओलंपिक में सबसे बड़ी टीम निशानेबाजी और तीरंदाजी की थी। जिसने भारत को पूरी तरह निराश किया। मीराबाई चानू से शुरू हुए मेडेल्स के सफर के बाद जिस तरह से इन दोनों इवेंट में लगातार पदक को लेकर इंतजार रहा। टोक्यो ओलंपिक में प्रतीक्षा की लंबी घड़ी के बाद सिर्फ बैडमिंटन की पीवी सिंधु ने ही उम्मीद की किरण को जारी रखा। उसने इस इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता और पहलवान सुशील कुमार के रिकॉर्ड की बराबरी की। वह ओलंपिक में लगातार दूसरा मेडल जीतने वाली खिलाड़ी बनी। वह भारत के लिए ऐसा करने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनने का गौरव भी प्राप्त किया। सिंधु ने मीराबाई के बाद भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक में दूसरा पदक जीता। उधर भारत का निशानेबाजी और तीरंदाजी के निशाने फेल करने का सिलसिला जारी रहा। महिला हॉकी की टीम लगातार तीन मुकाबले नीदरलैंड, जर्मनी और ब्रिटेन से हारी। लेकिन इसके बाद भारतीय महिला हाॅकी टीम ने शानदार वापसी करते हुए आयरलैंड और दक्षिण अफ्रीका को हराकर क्वार्टर फाइनल में पहुंच गई। जहां उसने एक नया इतिहास रचा। भारतीय लड़कियों ने विश्व चैंपियन रही ऑस्ट्रेलिया की टीम को क्वार्टर फाइनल में 1-0 से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया। लेकिन वह अर्जेंटीना से हार गई। इसके बाद ब्रॉन्ज मेडल के लिए खेले गए मैच में भी शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए 4-3 से वह ब्रिटेन से हार गई ।

लेकिन भारतीय पुरुष हॉकी की टीम ने सिर्फ ऑस्ट्रेलिया से 7-1 के हारने के बाद अपने जीत के सफर को सेमीफाइनल तक लगातार जारी रखा। सेमीफाइनल में बेहद संघर्षपूर्ण मैच में बेल्जियम से हार गई, लेकिन उसने ब्रॉन्ज मेडल के लिए हुए मुकाबले में जर्मनी को हराकर भारत के लिए मेडल जीता। यह भारत के लिए तीसरा पदक था। इस ब्रॉन्ज मेडल ने भारत के 41 साल के हॉकी प्रतियोगिता में सूखे को खत्म किया। भारत की हॉकी में वापसी हुई। इधर भारत को मुक्केबाजी में भी बड़ी उम्मीदें थी। लेकिन लवलीना को छोड़कर सारे मुक्केबाज इस ओलंपिक में फेल कर गए। सिर्फ लवलिना एक ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत की झोली में चौथा पदक डाला। इसके बाद कुश्ती में भारत ने शानदार दांव दिखाएं। रवि कुमार दहिया ने फाइनल में पहुंचकर भारत को दूसरा रजत पदक दिलाया। भारत की झोली में पांचवी पदक डाली। इसके बाद कई इवेंट में भारत को पदक के उम्मीद होने के बावजूद निराशा मिली। लेकिन अंतिम दिन शनिवार को 7 अगस्त का दिन भारत के लिए काफी शुभ साबित हुआ। बजरंग पूनिया और नीरज चोपड़ा ने वह कर दिखाया। जिसकी उम्मीद भारत वासियों ने छोड़ दी थी।

वैसे इन दोनों खिलाड़ियों से देश को पदक की उम्मीद शुरू से थी। बजरंग से तो लोग गोल्ड की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन सेमीफाइनल में मुकाबला हार जाने के कारण इन उम्मीदों पर पानी फिर गया था। लेकिन नीरज चोपड़ा ने ब्रॉन्ज की उम्मीद को स्वर्ण बदल दिया। उसने 87.56 भाला फेंक कर भारत की झोली में अंतिम क्षणों में गोल्ड मेडल डाल दी। जिसके कारण भारत अंतिम क्षणों में ओलंपिक के मेडल टैली में भी उछल कर 66 वें स्थान से 47 वें स्थान पर आ गया। अंत में हम इतना ही कह सकते हैं कि इस ओलंपिक में जिन खिलाड़ियों ने अपनी तैयारी और प्रशिक्षण के साथ-साथ एकाग्रता से टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लिया था वही सफल रहे। मीडिया के लटके झटके और स्टारडम के चक्कर में रहने वाले सारे हमें निराश किया है। वैसे अंतिम समय और महिला गोल्फ में अदिति अशोक पदक से चुकी लेकिन उसका प्रदर्शन और सराहनीय रहा। वह एक कदम से ब्रॉन्ज मेडल चूक गई। एथलेटिक्स में भी कई एथलीटों ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया वह पदक तो नहीं जीते लेकिन उम्मीदें छोड़ गए।

भारत ने 7 मेडल जीतकर टोक्यो ओलिंपिक में इतिहास रच दिया है। वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने ओलिंपिक में शुरुआत सिल्वर मेडल से की। वहीं जेवलिन थ्रो में नीरज चोपड़ा ने गोल्डन से अंत किया। वह ट्रैक एंड फिल्ड के इतिहास में पहला मेडल जीतने वाले खिलाड़ी बने। साथ ही उन्‍होनें भारत के लिये टोक्यो में 7वां मेडल जीता। इसके साथ ही भारत ने अपने लंदन ओलंपिक के प्रदर्शन को पीछे छोड़ दिया।

ओलिंपिक में इतिहास रचने वाले खिलाड़ी

नीरज चोपड़ा- एथलेटिक- गोल्ड
मीराबाई चानू- वेटलिफ्टिंग- सिल्वर
रवि कुमार दहिया- कुश्ती-सिल्वर लवलीना- मुक्केबाजी- ब्राॅन्ज
पीवी सिंधु- बैडमिंटन – ब्राॅन्ज
बजरंग पूनिया- कुश्ती- ब्राॅन्ज
पुरूष हॉकी टीम – ब्रॉन्ज

  1. नीरज चोपड़ा ट्रैक ऐंड फील्ड में भारत के लिए पहला मेडल ओलिंपिक में जीता। सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 87.68 मीटर।
  2. वेटलिफ्टर मीराबाई चानू: मणिपुर चानू ने तोक्‍यो ओलिंपिक में भारत के लिए पहला सिल्‍वर मेडल जीता।
    महिलाओं के 49 किग्रा में 202 किग्रा (87 किग्रा + 115 किग्रा) भार उठाकर सिल्वर अपने नाम किया।
  3. रवि कुमार दहियापुरुष फ्रीस्टाइल 57 किग्रा भार वर्ग के फाइनल मुकाबले में रूस के जायूर उगयेव के हाथों 4-7 से हार गए। रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
  4. बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन: भारत की स्टार मुक्केबाज ने महिला वेल्टरवेट वर्ग (69 किग्रा) के सेमीफाइनल में तुर्की की मौजूदा विश्व चैंपियन बुसेनाज सुरमेनेली से हारी।
  5. शटलर पीवी सिंधु: महिला बैडमिंटन के सिंगल्स का ब्रॉन्ज मेडल जीता। वह चीन की बिंग जियाओ को 2-0 से हराया । यह उसका ओलिंपिक में लगातार दूसरा मेडल है।
  6. पुरुष हॉकी टीम ने जर्मनी को 5-4 हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीता। 1980 के बाद यह पहला मौका था जब भारत ने हॉकी में मेडल जीता।
  7. बजरंग पुनिया ने कुश्ती के 65 किलोग्राम वर्ग में कजाखस्तान के नियाजबेकोव 8-0 हराकर ब्रोंज मेडल जीता।

रिपोर्टः प्रभात कुमार, सीनियर जर्नलिस्ट

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