Table of Contents
Dhanbad के झरिया में दर्जनों लोग अनोखे रूप से ठगी का शिकार हो गए हैं। मामला EMI से वाहन खरीदवाने का है जहाँ ठगों द्वारा कुछ माह EMI देकर बंद कर दिया गया। वहीं जबतक लोगों को इस बारे में पता चला तबतक वह ठग का शिकार हो चुके थे। भुक्तभोगियों ने इसकी शिकायत झरिया थाने में की है।
गुजरात की वैष्णवी टांसपोर्ट नामक कंपनी के द्वारा ठगी का मामला
दरअसल गुजरात की वैष्णवी टांसपोर्ट नामक कंपनी के द्वारा ठगी किये जाने का मामला है। भुक्तभोगियों के अनुसार करीब 9-10 माह पहले गुजरात का तरुण नथानी नामक व्यक्ति ने यहाँ के स्थानीय से संपर्क कर वाहन निकालकर देने का सुझाव दिया वहीं वाहन को इसके एवज में प्रत्येक माह 10 हजार रूपये देने की बात कही। हालांकि इस दौरान जब वाहन निकाली गई तो फाइनेंस की अग्रिम राशि और EMI भी उसी के द्वारा दी गई।
8 से 9 महीना दिया गया किश्त फिर मिलना हुआ बंद
भुक्तभोगी ने बताया की करीब 8 से 9 महीना क़िस्त की राशि ठीक ठाक मिलती रही पर 2-3 महीने से किस्ती देना बंद कर दिया गया और बैंक में क़िस्त बाउंस होने लगा। किश्त बंद कर दिये जाने के बाद जब बैंक द्वारा किश्त के लिए दवाब दिया जाने लगा तब ठगी का एहसास हुआ।
50 से 60 लोगों से करवाया गया वाहनों का फाइनेंस
अब भुक्तभोगियों द्वारा ठगे जाने को लेकर झरिया थाने में लिखित शिकायत की गई है। बता दें की इस कंपनी द्वारा भाड़े में वाहन चलाने के नाम पर करीब 50 से 60 लोगों से वाहन फाइनेंस करवाया गया था। जबकि 200 से 250 की संख्या में वाहन होने की बात बताई जा रही है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है की किसी वाहन मालिक को फाइनेंस के लिए रिसीविंग नहीं मिला है वहीं किसी को ये भी पता नहीं है की उसकी गाड़ी किस रंग की है।
पीड़ित द्वारा उचित कार्रवाई की मांग
भुक्तभोगी ने बताया कि बैंक द्वारा अचानक EMI शुरू हुआ तब वाहन फाइनेंस का पता चला। वहीं अब किश्त बंद होने के बाद कंपनी द्वारा रोज टालमटोल किया जा रहा है और सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है। बता दें कि झरिया, धनबाद, कतरास, भौँरा, गिरिडीह सहित कई क्षेत्रों के लोग इस ठगी के शिकार हो चुके हैं। लिहाजा पीड़ित द्वारा कार्रवाई नहीं किये जाने पर आत्महत्या की बात कही जा रही है।
बिना बैंक अधिकारी और शोरूम के मिलीभगत के संभव नहीं
यहाँ आश्चर्य की बात ये है की ये काम बैंक और शोरूम के माध्यम से वाहन खरीदार को अंधेरे में रखकर फाइनेंस कराया गया है। वहीं इसमें बैंक अधिकारी और शोरूम के मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। यह ठगी बड़े पैमाने पर किया गया है जहाँ 50 से 60 लोगों के नाम पर करीब 200 से ऊपर की संख्या में वाहनो की गलत तरीके से फाइनेंस करवाने का मामला है।
हालांकि अब यह जांच का विषय है की आखिर इतनी बड़ी संख्या में बिना जानकारी के कैसे वाहनों को फाइनेंस कराया गया। फिलहाल भुक्तभोगीयो ने झरिया थाना में लिखित शियाकत कर न्याय की गुहार लगाई है।