मिरर मीडिया संवाददाता, धनबाद: महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच, अधिवक्ता बिजय कुमार झा ने महामहिम राष्ट्रपति को एक पत्र प्रेषित कर 11 सूत्रीय सुझाव दिए हैं। ये सुझाव महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों को रोकने के लिए कानून में आवश्यक सुधार की मांग करते हैं। झा का यह कदम कोलकाता में हाल ही में घटित एक भयावह घटना के बाद उठाया गया, जिसने न केवल स्थानीय बल्कि पूरे देश को हिलाकर रख दिया है।
इस पत्र में झा ने राष्ट्रपति से अपील की है कि महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न और अन्य प्रकार के अपराधों की गंभीरता को देखते हुए तत्काल कड़े कानून बनाए जाएं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति ने उनके सुझावों पर गौर करते हुए गृह मंत्रालय को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है, जिसे उनके कार्यालय ने 13 सितंबर 2024 को जारी किया था।
झा का मानना है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां देवी दुर्गा और सरस्वती की पूजा होती है, लेकिन महिलाओं के साथ हो रही बर्बरता इस पर सवाल उठाती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान कानून में सुधार की सख्त आवश्यकता है ताकि अपराधियों में कानून का खौफ पैदा किया जा सके।
11 सूत्रीय सुझाव:
महिलाओं से संबंधित सभी मामलों की जांच सी.बी.आई. को सौंपा जाना चाहिए।
जांच प्रक्रिया को 30 दिनों में समाप्त करना अनिवार्य हो।
सभी मुकदमे का निपटारा 100 दिनों के भीतर किया जाए।
निचली अदालतों के फैसले के बाद केवल एक अपील का प्रावधान हो।
ऐसे मामलों के लिए विशेष अदालतों का गठन किया जाना चाहिए।
विशेष अदालतों में छुट्टियों के दौरान भी सुनवाई होनी चाहिए।
मुख्य आरोपी को फांसी से कम की सजा नहीं मिलनी चाहिए।
नाबालिग आरोपियों को कोई छूट नहीं मिलनी चाहिए।
अभियुक्तों को किसी भी आधार पर पैरोल नहीं मिलनी चाहिए।
दोषियों को जेल में अलग रखा जाए।
सजायाफ्ता व्यक्तियों के सभी कानूनी और नागरिक अधिकार समाप्त किए जाने चाहिए।
बिजय कुमार झा ने आगे कहा कि इस प्रकार की कठोर नीतियों से ही महिलाओं को सुरक्षा का अहसास होगा और समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा। उनका मानना है कि देश की आधी आबादी, जो महिलाएं हैं, को इस प्रकार के कानूनों से सशक्त और सुरक्षित महसूस करना चाहिए।