नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा, संयम, धैर्य, और साहस की प्राप्ति के लिए माँ दुर्गा के दूसरे स्वरूप की करें आराधना

KK Sagar
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शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। इस वर्ष नवरात्रि का दूसरा दिन शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2024 को पड़ रहा है। हिंदू धर्म के अनुसार, नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, जो साधना, संयम और तप की देवी मानी जाती हैं। इस दिन पूजा करने से भक्तों को जीवन में संयम और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप और महत्व

मां ब्रह्मचारिणी का नाम ही उनके स्वरूप का परिचय देता है। “ब्रह्म” का अर्थ है तप और “चारिणी” का अर्थ है आचरण करने वाली, यानी वे देवी जो तप का आचरण करती हैं। मां ब्रह्मचारिणी को सफेद वस्त्र में देखा जाता है और उनके हाथ में जप माला और कमंडल होता है, जो उनके तपस्वी रूप को दर्शाता है। उनका यह स्वरूप वैराग्य और कठोर साधना का प्रतीक है। पौराणिक कथा के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा जाता है।

मां ब्रह्मचारिणी की तपस्या

मां ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया और नारद मुनि के उपदेश का पालन करते हुए भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की। हजारों वर्षों तक उन्होंने केवल फल-फूल खाकर तप किया और कुछ समय बाद केवल शाक पर ही निर्वाह किया। उनकी कठोर तपस्या के कारण उनका शरीर क्षीण हो गया था, लेकिन उन्होंने अपने संकल्प को नहीं छोड़ा। तीनों लोकों में उनकी तपस्या की चर्चा हुई और देवता, ऋषि, मुनि सभी उनकी तपस्या की सराहना करने लगे। अंत में ब्रह्मा जी ने आकाशवाणी की कि उनकी तपस्या सफल होगी और भगवान शिव उनके पति बनेंगे।

नवरात्रि द्वितीया तिथि का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष नवरात्रि की द्वितीया तिथि का शुभ मुहूर्त 4 अक्टूबर को सुबह 02:58 बजे से शुरू होकर 5 अक्टूबर को सुबह 05:30 बजे तक रहेगा। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का सर्वोत्तम समय 4 अक्टूबर को सुबह 11:51 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक रहेगा। इस दिन वै​धृति योग, चित्रा नक्षत्र और तुला राशि का चंद्रमा संयोग में होंगे, जो पूजा के प्रभाव को और भी अधिक शुभ बनाएंगे।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए सबसे पहले साधक को अपने पूजा स्थल को साफ करके मां का ध्यान करना चाहिए। सफेद रंग के वस्त्र पहनकर मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र के सामने धूप, दीप, पुष्प और चंदन अर्पित करें। इसके बाद मां को शहद, दूध और मिश्री का भोग लगाएं। मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग के पुष्प बहुत प्रिय हैं, इसलिए सफेद फूलों का प्रयोग अवश्य करें। पूजा के दौरान “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः” मंत्र का जाप करें और मां से तप, संयम और धैर्य की प्राप्ति की प्रार्थना करें।

मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से प्राप्त होते हैं ये लाभ


मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से साधक को जीवन में संयम, धैर्य, और साहस की प्राप्ति होती है। कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति मिलती है और आध्यात्मिक प्रगति के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरणा मिलती है। मां की आराधना से साधक की इच्छाओं की पूर्ति होती है और उसे जीवन में कठिनाइयों को सहने की शक्ति मिलती है।

इस प्रकार, नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करके साधक अपनी आध्यात्मिक यात्रा को मजबूत कर सकता है और जीवन में आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है।

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