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झारखंड में महागठबंधन ने कर दिया जीत का दावा : 59 सीटों पर जीत और एनडीए का सूपड़ा होगा साफ : लिस्ट भी कर दी जारी

झारखंड में इस बार का विधानसभा चुनाव 2024 काफी रोमांचक और महत्वपूर्ण रहा। 81 सीटों वाली विधानसभा के लिए मतदान समाप्त हो चुका है, और अब सबकी नजरें 5 दिसंबर को आने वाले नतीजों पर टिकी हैं। दोनों प्रमुख गठबंधनों—झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेतृत्व वाले महागठबंधन और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले एनडीए—ने अपनी-अपनी जीत के बड़े-बड़े दावे किए हैं। चुनाव के मुद्दे, प्रचार रणनीति, और जनता की प्राथमिकताएं इस बार के नतीजों को और रोचक बना रही हैं।

महागठबंधन का दावा: 59 सीटों पर जीत और एनडीए का सूपड़ा साफ

झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के केंद्रीय महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने शुक्रवार को एक लिस्ट जारी करते हुए कहा कि महागठबंधन इस बार 81 में से 59 सीटों पर जीत दर्ज करेगा। उनका दावा है कि राज्य के 24 में से 11 जिलों में एनडीए का खाता भी नहीं खुलेगा।

उन्होंने कहा, “झारखंड की जनता ने हेमंत सोरेन सरकार की नीतियों, विकास योजनाओं और सामाजिक न्याय के लिए किए गए कामों पर भरोसा जताया है। ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में महागठबंधन के पक्ष में जबरदस्त लहर है।

सुप्रीयो ने यह भी कहा कि महागठबंधन की नीतियां—जैसे आदिवासी अधिकारों की रक्षा, पेंशन योजनाएं, शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और खनिज संसाधनों का संरक्षण—चुनाव में अहम भूमिका निभा रही हैं।

एनडीए का दावा: झारखंड में बदलाव की लहर, 51+ सीटों पर जीत

वहीं दूसरी ओर, भाजपा ने दावा किया है कि झारखंड में जनता ने मौजूदा सरकार के भ्रष्टाचार, बिगड़ती कानून-व्यवस्था और घुसपैठ जैसे मुद्दों पर नाराजगी जाहिर की है। भाजपा के झारखंड चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “झारखंड में लोग बदलाव चाहते हैं। एनडीए गठबंधन 51 से अधिक सीटें जीतकर सरकार बनाएगा।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और धनवार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले बाबूलाल मरांडी ने भी यही विश्वास जताया। उन्होंने कहा, “इस चुनाव में भाजपा और एनडीए मजबूती से आगे हैं। महागठबंधन को अपनी हार का अंदाजा हो चुका है, और हम बहुमत के साथ सरकार बनाएंगे।”

मुख्य चुनावी मुद्दे और मतदाताओं की प्राथमिकताएं

इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव में जनता ने कई स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दों को महत्व दिया।

ग्रामीण और आदिवासी अधिकार

हेमंत सोरेन सरकार ने आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया, जिससे महागठबंधन ने इन क्षेत्रों में बढ़त का दावा किया है।

विकास और रोजगार

भाजपा ने प्रचार में रोजगार, सड़क निर्माण, और औद्योगिक विकास को प्राथमिकता दी। उन्होंने सोरेन सरकार पर इन मुद्दों को अनदेखा करने का आरोप लगाया।

भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था

एनडीए ने सोरेन सरकार पर भ्रष्टाचार और बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर तीखा हमला किया। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जनता अब बदलाव के लिए भाजपा के साथ खड़ी है।

खनिज संसाधनों का प्रबंधन

खनिज संपन्न झारखंड में खनिजों के अवैध दोहन और स्थानीय समुदायों को मुआवजे की मांग ने भी चुनावी चर्चा को गर्म रखा।

कौन किस पर भारी?

महागठबंधन की रणनीति

ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में महागठबंधन को मजबूत समर्थन मिलने का दावा किया जा रहा है। हेमंत सोरेन की व्यक्तिगत लोकप्रियता भी गठबंधन के लिए एक बड़ा फैक्टर मानी जा रही है।

एनडीए की रणनीति

शहरी इलाकों और गैर-आदिवासी मतदाताओं में भाजपा का प्रभाव दिखाई दे रहा है। मोदी सरकार की केंद्रीय योजनाओं और विकास के एजेंडे को भी प्रचार में प्रमुखता दी गई।

राजनीतिक समीकरण और नतीजों का इंतजार

इस चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला नहीं हुआ क्योंकि अधिकांश छोटे दल महागठबंधन में शामिल हो गए। इसलिए मुकाबला सीधा एनडीए और महागठबंधन के बीच सिमट गया है।

अगर महागठबंधन ने 59 सीटों का दावा सही साबित किया, तो हेमंत सोरेन के नेतृत्व में फिर से सरकार बनेगी। वहीं, अगर एनडीए बहुमत हासिल करता है, तो भाजपा राज्य में सत्ता में वापसी करेगी।

KK Sagar
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