धनबाद में अस्पताल रजिस्ट्रेशन के नाम पर विभाग का खेला:सिर्फ बदला नाम,यथावत रही भवन व अन्य जानकारियां

KK Sagar
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धनबाद जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और अनियमितताएं फिर उजागर हुई हैं। जिले के कई अस्पतालों में नियम-कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है। जिन अस्पतालों पर कार्रवाई होनी चाहिए, वे लाभ उठा रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग मूकदर्शक बना हुआ है।

राजगंज हाईवे अस्पताल का मामला

जुलाई 2024 में स्वास्थ्य विभाग ने राजगंज स्थित नेशनल हाईवे अस्पताल का निरीक्षण किया। निरीक्षण में पाया गया कि यहां क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का पालन नहीं हो रहा था। जांच रिपोर्ट में गंभीर खामियां उजागर हुईं, लेकिन कार्रवाई के बजाय विभाग ने अस्पताल संचालक को राहत देते हुए “लाइफ केयर अस्पताल” के नाम से नया लाइसेंस दे दिया। हालांकि, नाम बदलने के अलावा कुछ भी नहीं बदला। बिल्डिंग, संचालक, और यहां तक कि अस्पताल के बोर्ड पर लिखा मोबाइल नंबर भी वही है।

बाघमारा के आस्था पाली क्लीनिक का मामला

बाघमारा के आस्था पाली क्लीनिक के संचालक के फर्जी सर्टिफिकेट की रिपोर्ट मिलने के बावजूद अस्पताल को नए नाम से लाइसेंस दे दिया गया। इससे यह साफ होता है कि विभागीय नियमों की अवहेलना हो रही है और कार्रवाई के नाम पर केवल दिखावा किया जा रहा है।

लाइसेंस नियमों की अनदेखी से सरकार को राजस्व का नुकसान

नियम के अनुसार, लाइसेंस फेल होने पर हर दिन 100 रुपये का जुर्माना लगाया जाना चाहिए, लेकिन इन अस्पतालों पर यह लागू नहीं किया गया। तीन से चार वर्षों तक बिना लाइसेंस के चलने वाले अस्पतालों से जुर्माने की रकम वसूलने के बजाय विभाग ने इन्हें खुली छूट दे दी, जिससे सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ।

जांच के आदेश, लेकिन कार्रवाई अधर में

धनबाद के सिविल सर्जन डॉ. सीबी प्रतापन ने इस सन्दर्भ में बताया कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं हैं अगर ऐसी कोई बात हैं तो मामले की जांच की जाएगी और संबंधित अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी। स्थिति स्पष्ट होने के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

कांग्रेस जिलाध्यक्ष संतोष सिंह ने कहा है कि स्वास्थ्य सेवाओं के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने मांग की कि दोषी अस्पतालों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और अस्पतालों की मनमानी ने जिले की स्वास्थ्य सेवाओं को संकट में डाल दिया है। यह देखना होगा कि जांच के बाद दोषियों पर कोई ठोस कार्रवाई होती है या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।

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