सहरसा के वैज्ञानिक डॉ. राज सरदार की अनूठी खोज
बिहार के सहरसा नगर निगम के वार्ड संख्या 9, नरियार निवासी डॉ. राज सरदार ने प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण का समाधान खोज निकाला है। डॉ. सरदार माइक्रोबायोलॉजी एक्सपर्ट हैं और पिछले दो दशक से अनुसंधान, अध्ययन और अध्यापन कार्यों से जुड़े हैं। वर्तमान में वह दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया में कार्यरत हैं।
प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने की दिशा में बड़ी उपलब्धि
डॉ. सरदार ने वेस्ट टू वेल्थ (Waste to Wealth) अवधारणा के तहत प्लास्टिक को जैविक तरीके से विघटित करने के लिए एक नए सूक्ष्मजीव की खोज की है। उन्होंने “माइक्रोकोक्कस फ्लेवस” नामक एक बैक्टीरिया की पहचान की है, जो प्लास्टिक को धीरे-धीरे अपना भोजन बनाता है और उसे विघटित कर देता है।
कैसे काम करता है यह बैक्टीरिया?
डॉ. सरदार के अनुसंधान के अनुसार, माइक्रोकोक्कस फ्लेवस बैक्टीरिया प्लास्टिक की सतह पर बायोफिल्म बनाकर उसे धीरे-धीरे खाना शुरू कर देता है। यह बैक्टीरिया 30 दिनों में प्लास्टिक के वजन को लगभग 2% तक कम कर सकता है।
जटिल प्लास्टिक पॉलीमर को विघटित करने में सफल प्रयोग
यह खोज इसलिए भी अहम है क्योंकि मजबूत प्लास्टिक पॉलीमर को तोड़ने के लिए वैज्ञानिकों को अब तक कोई प्रभावी तरीका नहीं मिला था। डॉ. सरदार के प्रयोगों में बैक्टीरिया ने अपने एंजाइम क्रियाविधि से जटिल प्लास्टिक पॉलीमर को मोनोमर में तोड़कर उसे जैविक रूप से नष्ट करने में सफलता हासिल की।
पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करने में मददगार
यह शोध न केवल प्लास्टिक कचरे को कम करने में मदद करेगा, बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। प्लास्टिक कचरे को जलाने से निकलने वाली डाई-ऑक्सिन, कार्बन मोनोऑक्साइड, फ्यूरन जैसी विषैली गैसें हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। ऐसे में बैक्टीरिया द्वारा प्लास्टिक का जैविक विघटन एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है।
भारत में प्लास्टिक प्रदूषण की भयावह स्थिति
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 60 प्रमुख शहरों में प्लास्टिक कचरे का अंबार कुतुबमीनार जितना ऊँचा हो गया है। देश में हर साल लगभग 70 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक का उत्पादन किया जा रहा है। यह प्लास्टिक पर्यावरण में जमा होकर जल, थल और वायु को प्रदूषित कर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है सराहना
डॉ. सरदार की इस खोज को वैश्विक स्तर पर भी पहचान मिली है। उनके शोध को प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल ‘वर्ल्ड जर्नल ऑफ माइक्रोबायोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी’ (Springer Nature, Netherlands) में प्रकाशित किया गया है। इसके अलावा, उन्हें अमेरिका के लॉस एंजेलिस में जून 2025 में होने वाले साइंटिफिक अधिवेशन में अपने शोध को प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया है।
डॉ. सरदार की भविष्य की योजना
डॉ. सरदार अब वर्जिन प्लास्टिक (Virgin Plastic) के विघटन की क्षमता को बढ़ाने और मिश्रित प्लास्टिक को पूरी तरह से जैविक तरीके से नष्ट करने के लिए शोध कर रहे हैं। उनका लक्ष्य “ज़ीरो वेस्ट” उत्पादन की दिशा में काम करना है, जिससे भविष्य में प्लास्टिक कचरा पूरी तरह से खत्म किया जा सके।
आम जनता से अपील
डॉ. सरदार ने आम जनता से अपील की है कि वे प्लास्टिक को जलाने की प्रवृत्ति से बचें, क्योंकि इससे वातावरण में जहरीली गैसें फैलती हैं। उन्होंने जैविक तरीके से प्लास्टिक नष्ट करने के लिए जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
कौन हैं डॉ. राज सरदार?
डॉ. सरदार बिहार के सहरसा जिले के निवासी हैं। वह स्व. अमरनाथ सरदार और श्रीमती त्रिफुल देवी के सुपुत्र हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा और शोध कार्यों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और वर्तमान में दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया में कार्यरत हैं।