डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक दलित छात्रा को मासिक धर्म (पीरियड्स) के पहले दिन परीक्षा के दौरान कक्षा में बैठने से रोक दिया गया। आरोप है कि आठवीं कक्षा की छात्रा को स्कूल प्रशासन ने सीढ़ियों पर बैठकर परीक्षा देने को मजबूर किया।
वीडियो वायरल होते ही हरकत में आया प्रशासन
इस अमानवीय घटना का वीडियो बुधवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया। पोलाची की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सृष्टि सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने स्कूल जाकर जांच शुरू की।
शिक्षा विभाग ने मांगा स्पष्टीकरण, विभागीय जांच शुरू
घटना की गंभीरता को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने पोलाची के सेंगुट्टईपलायम स्थित स्कूल से तत्काल स्पष्टीकरण मांगा है। शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने कहा कि स्कूल के खिलाफ विभागीय जांच की गई है और प्रिंसिपल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
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मंत्री ने दी चेतावनी – बच्चों पर उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं
शिक्षा मंत्री ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, “हम बच्चों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव या उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं करेंगे। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
छात्रा के पिता ने बताई पीड़ा
छात्रा के पिता ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्होंने स्कूल से परीक्षा के लिए अलग मेज और कुर्सी देने का अनुरोध किया था, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने व्यवस्था नहीं की। इसके बजाय छात्रा को सीढ़ियों पर बैठने के लिए मजबूर किया गया। वह दो घंटे से अधिक समय तक सीढ़ियों पर बैठी रही, जिससे उसके पैरों में दर्द हो गया।
समाज में जागरूकता की आवश्यकता
यह घटना सिर्फ एक छात्रा के साथ अन्याय नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि आज भी समाज में मासिक धर्म जैसे प्राकृतिक विषयों को लेकर जागरूकता की कमी और भेदभाव की मानसिकता कितनी गहरी है। जरूरत है कि स्कूलों में संवेदनशीलता और समानता की शिक्षा दी जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं।