झारखंड में ‘कैथलिक आदिवासी’ शब्द को लेकर सियासी माहौल गरमा गया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस शब्द को भ्रामक और आदिवासी समाज को गुमराह करने वाला बताया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कुछ लोग मतांतरण कर ईसाई धर्म अपनाने के बावजूद खुद को ‘आदिवासी’ बताकर आरक्षण का अनुचित लाभ उठा रहे हैं।
मरांडी ने अपने बयान में कहा, “कैथलिक समुदाय को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता है, लेकिन यदि लोभ, भय और साजिश के तहत आदिवासी समाज को मिटाने की कोशिश हुई तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” उन्होंने स्पष्ट किया कि आदिवासी समाज चर्च नहीं, बल्कि सनातन आस्था, सरना स्थल, माँझी थान और जाहेर थान जैसे पारंपरिक श्रद्धा केंद्रों से दिशा तय करेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड में जल्द ही आदिवासी समाज को संगठित कर विदेशी साजिशों को नाकाम करने का एक बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा, ताकि सांस्कृतिक पहचान और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जा सके।
सरकार पर हमला:
बाबूलाल मरांडी ने इस मुद्दे पर राज्य की हेमंत सोरेन सरकार को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे मामले का संज्ञान लेकर संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों के तहत सख्त कार्रवाई की जाए।