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प्रशासन को जज बनने की जरूरत नहीं: बुलडोजर एक्शन पर SC ने जताई नाराजगी

डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर कड़ी नाराजगी जताते हुए सभी राज्यों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सिर्फ किसी पर आरोप लगने भर से उसके घर को गिराया नहीं जा सकता। कोर्ट ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया के बिना किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता और प्रशासन को इस मामले में न्यायाधीश की भूमिका नहीं निभानी चाहिए। साथ ही, अगर अवैध तरीके से किसी का घर तोड़ा जाता है, तो संबंधित व्यक्ति को मुआवजा मिलना चाहिए।

अवैध कार्रवाई पर सख्त रुख, अधिकारियों को मिले सजा

कोर्ट ने कहा कि अवैध तरीके से कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को दंडित किया जाना चाहिए। बिना किसी का पक्ष सुने कार्रवाई करना अस्वीकार्य है। न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है।

नोटिस की प्रक्रिया पर सख्ती, समय पर मिले सूचना

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि नोटिस की जानकारी जिलाधिकारी (DM) को दी जाए और साथ ही राज्य के चीफ सेक्रेटरी को भी सूचित किया जाए। अवैध निर्माण हटाने से पहले नोटिस में साफ जानकारी दी जानी चाहिए कि मकान कैसे अवैध है। यह नोटिस नगर निगम के नियमों के अनुसार होना चाहिए और नोटिस देने के 15 दिनों के भीतर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।

अधिकारियों का नाम और वीडियोग्राफी हो दर्ज

कोर्ट ने कहा कि कार्रवाई में शामिल अधिकारियों का नाम रिकॉर्ड होना चाहिए और अवैध निर्माण की वीडियोग्राफी की जानी चाहिए ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार का विवाद न हो।

मकान मालिक को मिले नोटिस, गलत कार्रवाई पर मुआवजा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मकान मालिक को डाक द्वारा नोटिस भेजा जाए और अगर गलत तरीके से किसी का घर तोड़ा जाता है, तो उसे मुआवजा मिलना चाहिए। बुलडोजर एक्शन में कोई पक्षपात नहीं होना चाहिए। किसी का घर छीनना उसके मौलिक अधिकारों का हनन है और इस प्रकार की कार्रवाई से कानून का भय बढ़ता है।

आरोपी एक तो सजा पूरे परिवार को क्यों?

कोर्ट ने सवाल उठाया कि अगर किसी मामले में आरोपी एक व्यक्ति है, तो उसके परिवार को सजा क्यों दी जाए? कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पूरे परिवार से उनका घर नहीं छीना जा सकता। इसके साथ ही, कोर्ट ने आदेश दिया कि जिलाधिकारी प्रत्येक जिले में नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे, जो विध्वंस की प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करेगा।

नोडल अधिकारी की उपस्थिति में ही हो कार्रवाई

कोर्ट ने कहा कि नोडल अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी संबंधित व्यक्तियों को समय पर नोटिस मिले और उसका जवाब भी समय पर प्राप्त हो। बुलडोजर की प्रक्रिया नोडल अधिकारी की उपस्थिति में ही होनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि देश में हो रही बुलडोजर कार्रवाई पर कोर्ट की नजर बनी रहेगी।

घर सपने की तरह होता है, उसकी सुरक्षा महत्वपूर्ण

कोर्ट ने फैसले में कहा कि किसी परिवार के लिए घर सपने की तरह होता है और इसे छीनना मौलिक अधिकारों का हनन है। अधिकारी मनमाने ढंग से कार्रवाई नहीं कर सकते।

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