साक्ष्य न मिलने की बात कह दुष्कर्म के आरोपित किक बॉक्सिंग कोच को थाने से छोड़ने के बाद विवादों में घिरा प्रशासन, पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल
1 min read
धनबाद : किक बाक्सिंग के कोच विपुल मिश्रा जो पोक्सो एक्ट का नामजद आरोपित है, उसे थाने से छोड़कर पुलिस घिर गई है। पोक्सो के आरोपित को थाना से छोड़ने पर पुलिस की भूमिका पर कानून के जानकार सवाल उठा रहे हैं। इस कार्रवाई को आरोपित को लाभ पहुंचाने वाला बताया जा रहा है। इधर नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के पिता ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए अपनी बेटी और दुष्कर्म के खिलाफ लड़ाई में साथ दे रहे उसके एक दोस्त को जान को खतरा बताया है। पिता ने कहा है कि आरोपित इस मामले से जुड़े साक्ष्य भी मिटाने की कोशिश कर रहा है।
विदित हो कि महिला थाने की पुलिस ने चिरकुंडा थाने की पुलिस के सहयोग से विपुल मिश्रा को चांच कोलियरी स्थित उसके आवास से मंगलवार की रात उठाकर धनबाद ले आई थी। पहले महिला थाने और फिर साइबर थाने में पूछताछ के बाद उसे गुरुवार को पीआर बांड पर छोड़ दिया गया था। 27 अगस्त को महिला थाने में उसके विरुद्ध एक्ट के तहत दुष्कर्म का केश पीड़िता के पिता ने किया था। 17 वर्षीय पीड़िता पंचेत ओपी क्षेत्र की रहने वाली है। वह किक बक्सिंग की खिलाड़ी हैं।
प्राथमिकी में बताया गया है कि पिछले साल एक सितंबर से 10 सितंबर तक दार्जलिंग में अंतरराष्ट्रीय किक बाक्सिंग प्रशिक्षण शिविर था। विपुल मिश्रा पीड़िता का प्रशिक्षक था। पीड़िता उसे राखी भी बांधतो थी। दार्जलिंग प्रशिक्षण में विपुल उसे अपने साथ लेकर गया था। उस वक्त किशोरी की उम्र 16 साल चार माह थी। विपुल ने दार्जीलिंग में एक सितंबर से दस सितंबर तक उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया। और धमकी दी की अगर उसके साथ संबंध नहीं बनाएगी तो उसे गेम से बाहर कर दिया जाएगा। यह भी धमकी दी कि किसी को यह बात बताने पर वोडियो और फोटो वायरल कर तुम्हारे पापा को जान से मार देंगे। इस कारण उसने अपने माता-पिता को कुछ नहीं बताया। इधर, रांची में पिछले माह 25 अगस्त से 27 अगस्त तक नेशनल किक बाक्सिंग चैंपियनशिप का आयोजन था। इसमें भाग लेने पीड़िता 22 अगस्त को खेलगांव गई थी। वहीं 23 अगस्त से ही उसके साथ फिर से संबंध बनाने के लिए विपुल मिश्रा दबाव बनाने लगा। बात नहीं मानने पर रजिस्ट्रेशन नहीं होने देने की धमकी दी। इसका विरोध पीड़िता और उसके एक दोस्त ने किया। 25 अगस्त की रात को पीड़िता के दोस्त को विपुल मिश्रा के भाई और दूसरे खिलाड़ियों ने जान से मारने की कोशिश की। इसकी प्राथमिकी भी खेलगांव थाने में दर्ज कराई गई थी।
वहीं आरोपित को थाने से छोडे जाने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता मो. जावेद ने कहा कि यह एक्ट के खिलाफ है। एक तो नाबालिग के साथ दुष्कर्म हुआ और दूसरा उसके साथ अन्याय आरोपित को थाने से छोड़कर किया गया। पोक्सो में आरोपित को पीआर बांड पर छोड़ने का कोई प्रविधान ही नहीं है। एक साल पहले हुए दुष्कर्म में पुलिस कौन सा साक्ष्य जुटाएगी। गिरफ्तारी के लिए पीड़िता का बयान ही पर्याप्त है। दुष्कर्म नहीं किए हैं, यह आरोपित को साबित करना होगा।
इधर, प्रशासन का कहना है कि विपुल मिश्रा को गिरफ्तार नहीं किया गया था। उसे पूछताछ के लिए थाने लाया गया था। 24 घंटे से अधिक समय तक हम उसे हिरासत में नहीं रख सकते थे। इस कारण थाने से छोड़ा गया है। उसके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिला है, लेकिन अभी क्लीनचिट नहीं दिया गया है। जब जरूरत पड़ेगी. पुलिस उसे बुलाकर पूछताछ करेगी। पोक्सो एक्ट में 30 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल करना है, जो हम करेंगे।