अरुण गोयल के इस्तिफे के बाद भारत में अब केवल एक चुनाव आयुक्त, अब आगे क्या?

KK Sagar
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चुनाव आयुक्त अरुण गोयल

लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अचानक क्यूं  दिया इस्तीफा

आसन्न 2024 के लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से कुछ ही दिन पहले अचानक चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अरुण गोयल का कार्यकाल 5 दिसंबर, 2027 तक था। अरुण गोयल का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार, 9 मार्च से स्वीकार कर लिया है। इसी साल फरवरी में अनूप पांडे की रिटायरमेंट और अब अरुण गोयल के इस्तीफे के बाद, तीन सदस्यीय निर्वाचन आयोग में अब केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार हैं। हालांकि राजीव कुमार का कार्यकाल अगले साल फरवरी तक है। उनके बाद गोयल ही अगले मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनने वाले थे। ऐसे में गोयल के इस तरह अचानक इस्तीफा दिए जाने पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।

चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे के बाद अब क्या?

नए मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की शर्तें) अधिनियम-2023 के तहत, जो दिसंबर में संसद द्वारा पारित किया गया और 2 जनवरी को लागू हुआ था, केंद्र सरकार अब लोकसभा चुनाव से पहले दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कर सकती है। इस चयन प्रक्रिया में दो समितियां शामिल होगीं। पहला कानून मंत्री के नेतृत्व में एक तीन सदस्यीय खोज समिति, जिसमें दो सचिव स्तरीय अधिकारी भी शामिल रहेंगे। इसके बाद इनके सुझाए नामों में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय चयन समिति फैसला करेगी। इस समिति में प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता के अलावा एक केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे। खोज समिति चयन समिति को पांच नामों की सिफारिश करेगी, हालांकि चयन समिति को इस सूची के बाहर से भी आयुक्तों का चयन करने का अधिकार है। इसके बाद चयन समिति द्वारा सुझाए व्यक्ति को राष्ट्रपति बतौर चुनाव आयुक्त नियुक्त करेंगी।

आधिकारिक रूप से इस्तिफे का कोई कारण स्पष्ट नहीं

फिलहाल अरुण गोयल के इस्तीफे के कारणों का आधिकारिक रूप से कोई कारण नहीं बताया गया है। हालांकि विभिन्न मुद्दों पर मतभेद के कारण इस्तिफे की बात सामने आ रही है। जबकि चर्चा ये भी है कि अरुण गोयल ने इस्तीफा देते समय निजी कारणों का हवाला दिया है।

कांग्रेस ने उठाया सवाल

कांग्रेस ने गोयल के इस्तीफे को भारतीय लोकतंत्र के लिए चिंताजनक करार देते हुए कहा कि इस घटनाक्रम के बारे में स्पष्टीकरण दिया जाना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘भारत में अब केवल एक चुनाव आयुक्त है, जबकि कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनावों की घोषणा होनी है। क्यों?’ उन्होंने इसके साथ ही लिखा, ‘जैसा कि मैंने पहले कहा है, अगर हम अपने स्वतंत्र संस्थाओं की सुनियोजित बर्बादी को नहीं रोकते हैं, तो तानाशाही द्वारा हमारे लोकतंत्र पर कब्ज़ा कर लिया जाएगा।

कौन हैं अरुण गोयल?

अरुण गोयल पंजाब कैडर के 1985-बैच के आईएएस अधिकारी थे। वे नवंबर 2022 में भारत निर्वाचन आयोग में शामिल हुए थे। 7 दिसंबर, 1962 को पटियाला में जन्मे अरुण गोयल ने गणित में एमएससी किया है। उन्हें पंजाब यूनिवर्सिटी की सभी परीक्षाओं में टॉप करने का रिकॉर्ड कायम करने के लिए चांसलर मेडल ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया गया था। अरुण गोयल ने इंग्लैंड की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी स्थित चर्चिल कॉलेज से विकास अर्थशास्त्र में विशिष्टता के साथ पोस्ट ग्रैजुएशन किया है और अमेरिका की प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के जॉन एफ कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट से प्रशिक्षण प्राप्त किया है।

2022 को ले ली थी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

1985 बैच के आईएएस अफसर अरुण गोयल ने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और एक दिन बाद ही उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया गया था। उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि ‘आखिरकार जल्दबाजी’ क्या थी। हालांकि इस याचिका को बाद में वर्ष 2023 में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने खारिज कर दिया था। कोर्ट के फैसले में कहा गया कि एक संविधान पीठ ने इस मुद्दे की जांच की थी, लेकिन अरुण गोयल की नियुक्ति को रद्द करने से इनकार कर दिया था।

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