बड़ी खबर – एक देश एक चुनाव के लिए बनी कमेटी : पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद होंगे कमेटी के अध्यक्ष : विपक्ष में मची खलबली
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मिरर मीडिया : केंद्र सरकार ने 5 दिवसीय संसद का विशेष सत्र को बुलाया है और जाहिर है कि सरकार इस दौरान कई महत्वपूर्ण बिल को भी पास करवा लें। कई अहम बिल पेश हो सकते हैं जिसमें वन नेशन वन इलेक्शन, यूनिफॉर्म सिविल कोड और महिला आरक्षण का बिल सरकार ला सकती है। वहीं विशेष सत्र की घोषणा के बाद विपक्ष में खलबली मच गई है। जबकि शुक्रवार को एक देश एक चुनाव’ की दिशा में तेजी से आगे बढ़ते हुए केंद्र सरकार ने एक कमेटी गठित कर दी है जिसके अध्यक्ष भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद होंगे।
बताया जा रहा है कि इस कमेटी के सदस्यों को लेकर आज ही नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। यानी जल्द ही इस कमेटी के अन्य सदस्यों के नाम की जानकारी साझा की जा सकती है। ऐसे में केंद्र के इस फैसले से एक बार फिर उन अटकलों को हवा मिल गई है कि इस बार लोकसभा चुनाव वक्त से पहले हो सकते हैं।
सरकार के इस फैसले की जानकारी आते ही कांग्रेस ने विरोध जताते हुए कहा, ‘पूरे देश में एक साथ चुनाव कराए जाने की क्या जल्दी है? देश में महंगाई समेत कई मुद्दे हैं जिनपर सरकार को पहले एक्शन लेना चाहिए। वहीं AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी सरकार के इस कदम पर नाराजगी जताते हुए ट्वीट किया है।
इधर इस फैसले की जानकारी होते ही बीजेपी के कई नेताओं ने इसे देश के बेहतर भविष्य के लिए उठाया जाने वाला सही फैसला बताया है। वहीं इस दिशा में आगे बढ़ने को लेकर केंद्र की दलील है कि लॉ कमीशन ने रिपोर्ट में कहा जा चुका है कि देश में बार-बार चुनाव कराए जाने से सरकारी खजाने के पैसे और संसाधनों की जरूरत से अधिक बर्बादी होती है।
संविधान के मौजूदा ढांचे के भीतर एक साथ चुनाव करना संभव नहीं है इसलिए हमने कुछ जरूरी संवैधानिक संशोधन करने के सुझाव दिए हैं। वहीं आयोग ने सुनिश्चित किया है कि संविधान में आमूलचूल संशोधन की जरूरत है, जिस पर चर्चा होनी चाहिए।
संवैधानिक मामलों की जानकारों के अनुसार अगर एक देश-एक कानून बिल को लागू किया जाता है तो इसके लिए संविधान में कम से कम 5 संशोधन किए जाने चाहिए। आपको बता दें कि इससे पहले देश में 1951-1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और सभी विधानसभाओं में एक साथ चुनाव कराए गए थे।