डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: सोमवार को दिल्ली के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर तक पहुंच गया, जहां कुछ स्थानों पर यह 1000 के पार दर्ज किया गया। पटना में AQI 350 रहा, जबकि लखनऊ में यह 321 तक पहुंच गया। विशेषज्ञों ने इस हालात को स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बताया है।
COP29 में भी छाई दिल्ली की जहरीली हवा
अजरबैजान की राजधानी बाकू में आयोजित COP29 समिट में दिल्ली-NCR के खतरनाक वायु प्रदूषण पर चर्चा हुई। पर्यावरण विशेषज्ञों ने इस संकट के प्रति चिंता जताते हुए तुरंत वैश्विक प्रयासों की जरूरत पर बल दिया।
ग्लोबल क्लाइमेट एंड हेल्थ एलायंस के उपाध्यक्ष कर्टनी हॉवर्ड ने कहा कि साल 2023 में कनाडा के जंगलों की आग से निपटना भी एक चुनौती थी। प्रदूषण से निपटने में अमीर देशों को भी मुश्किलें आती हैं। ऐसे में गरीब देशों को वित्तीय मदद देना जरूरी है।
विशेषज्ञों ने बताए प्रदूषण के कारण और समाधान
क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने कहा, ब्लैक कार्बन, ओजोन, जीवाश्म ईंधन का जलना और पराली दहन जैसे कई कारण वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। सर्दियों के दौरान हवा की धीमी गति से यह समस्या और बढ़ जाती है।
ब्रीथ मंगोलिया के को-फाउंडर एनखुन ब्याम्बादोर्ज ने कहा कि वायु प्रदूषण से बच्चों के फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है। यह हमारे समाज द्वारा बनाए गए पर्यावरण का परिणाम है और भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा है।
भारत में वायु प्रदूषण से लाखों मौतें
ट ऑफ ग्लोबल एयर 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में वायु प्रदूषण के कारण वैश्विक स्तर पर करीब 80 लाख लोगों की मौत हुई। इनमें से 21 लाख मौतें भारत में हुईं।
सीमाओं के पार प्रदूषण नियंत्रण की जरूरत: नरेश पाल गंगवार
भारत के केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के संयुक्त सचिव नरेश पाल गंगवार ने COP29 में कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों से आने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सक्रिय और सहयोगात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है।
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