लंबे अरसे तक नहीं भूलाया जा सकता ‘धोनी’ के रिकॉर्ड व उपलब्धियां, शून्य से शिखर तक की यात्रा
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जमशेदपुर : क्रिकेट में आज भी एक ऐसा खिलाड़ी मैदान पर मौजूद है। जिसके चाहने वाले फैंस करोड़ों में हैं। वह भले ही टेस्ट क्रिकेट, वन डे इंटरनेशनल और टी-20 इंटरनेशनल से संन्यास ले लिया है, लेकिन आईपीएल में मैदान पर अब भी जमा है। यही नहीं उसके चाहने वाले असंख्य दीवाने आज भी मरने मिटने के लिए तैयार रहते हैं। लेकिन जैसे ही उसके क्रिकेट से संन्यास की बात आती है। वैसे ही उनका चेहरा मुरझा जाता है और दिल टूटने लगता है। यह देखकर तो कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि उनके करोड़ों फैंस इस सदमे को कैसे बर्दाश्त करेंगे? क्या इस खिलाड़ी के साथ ही उनके फैंस एंड फॉलोअर्स का भी क्रिकेट के मैदान से दूर हो जाएंगी। इस सवाल का जवाब तो आने वाला समय ही दे सकेगा। कारण अब भी महेंद्र सिंह धोनी से उनके चाहने वालों का दिल नहीं भरा है। वह आज भी उसे भारतीय टीम में देखना चाहते हैं। उनकी नजर में आज भी वह इंडियन टीम के लिए बेस्ट कैप्टन हैं। आज अगर इंडियन क्रिकेट टीम के लिए कोई जनमत संग्रह का प्रावधान होता तो शायद इनकी वापसी को नहीं रोका जा सकता।
उनके चाहने वाले को ऐसा लगता है कि मिस्टर कूल की विदाई इंडियन क्रिकेट टीम से समय से पहले कुछ हो गई। अगर वह बिहार झारखंड जैसे बीमारू और पिछड़ा राज्य से नहीं होते तो शायद उनकी पाली लंबी होती। महेंद्र सिंह धोनी 42 साल के हो गए। लेकिन उनके फैंस का दिल अभी भरा नहीं है। इतनी उम्र के बावजूद इसी वर्ष आईपीएल में पांचवी बार चेन्नई सुपर किंग के लिए ट्राॅफी जीतकर यह दिखा दिया कि शेर अभी बुढा नहीं हुआ है। एक तरफ धोनी के संन्यास लेने के बाद इंडियन टीम लगातार असफलताओं से जूझ रही है। 2019 वनडे वर्ल्ड कप के बाद से यह दौर जारी है। 2019 वन डे वर्ल्ड कप में अंतिम बार महेंद्र सिंह धोनी भारतीय टीम के लिए सेमीफाइनल में मैदान पर उतरे थे। 50 रन की अंतिम पारी खेली थी, लेकिन उनके रन आउट होने के साथ-साथ करोड़ों भारतीयों के चेहरे पर उदासी छा गया था। सारी उम्मीदें जैसे मटिया मेट हो गई थी और भारत यह मैच हार गया था। इस हार के बाद जब सिलेक्टरों ने धोनी से मुंह मोड़ लिया था तब 15 अगस्त 2020 को रात्रि में अचानक इंडियन क्रिकेट टीम से संन्यास की घोषणा कर दी थी। वैसे,तो वह पहले ही टेस्ट से सन्यास ले चुके थे और कप्तानी भी छोड़ दिया था। लेकिन वन डे इंटरनेशनल और T20 इंटरनेशनल को भी अलविदा कह दिया। भले ही यह आरोप सच नहीं हो लेकिन उनके चाहने वाले को ऐसा लगा कि अपने अंतिम पड़ाव पर वह राजनीति के शिकार हो गए। लोगों का अनुमान है कि धोनी को हरभजन सिंह, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर से अदावत महंगी पड़ी।
बहरहाल, इंडियन क्रिकेट ही नहीं, वर्ल्ड क्रिकेट में जो इतिहास महेंद्र सिंह धोनी ने रचा। वह किसी भारतीय के लिए ही नहीं, दुनिया के किसी अन्य क्रिकेटर के लिए भी आने वाले समय में बड़ी चुनौती होगी। धोनी ने इंडियन टीम को तीनों फॉर्मेट में वर्ल्ड चैंपियन बनाया। वह ऐसा करने वाले वह अब तक दुनिया में अकेले क्रिकेटर हैं। उनकी शून्य से शिखर तक की यात्रा रही। 23 दिसंबर 2004 को जब धोनी का इंडियन टीम में पदार्पण हुआ तो उन्होंने अपने पहले इंटरनेशनल मैच में शून्य से अपनी यात्रा शुरू की। पहले ही गेंद पर आउट हो गए। 2006 में टी 20 इंटरनेशनल में भी यह कहानी दुहराई। लेकिन 2007 में पहली बार भारतीय टीम की कमान संभालने के साथ जो सफलताओं का दौर शुरू हुआ। उसने एक के बाद एक कीर्तिमान रचे। 2007 में ही अपने नेतृत्व में भारतीय टीम के लिए पहला टी 20 वर्ल्ड कप जीता। फिर भारत को 2011 में दूसरी बार वनडे वर्ल्ड कप में चैंपियन बनाया और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीती।
तत्कालीन बिहार के रांची शहर में 7 जुलाई 1981 को जन्में महेंद्र सिंह धोनी के जीवन में एक समय ऐसा भी आया। जब वह निराश होकर क्रिकेट से दूरी बना ली। 2001 में भारतीय रेलवे में नौकरी कर ली। कोलकाता में टिकट कलेक्टर बन गए। 3 साल बिहार से अलग रहे क्रिकेट से अलग रहे लेकिन फिर वापसी हो गई। क्रिकेट का मोह नहीं छूटा। फिर से 2003 के अंत में में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। इसी साल उनका चयन इंडियन ए टीम में हुआ। धोनी के करीबी बताते हैं कि वह जब कोलकाता में थे, सौरभ गांगुली ने उन्हें बंगाल की तरफ से खेलने का ऑफर भी दिया था लेकिन अपना राज्य उन्हें छोड़ना पसंद नहीं था। फिर 2004 अंत आते आते उन्होंने क्रिकेट में नई कहानी लिखनी शुरू कर दी। चार मैचों में फ्लॉप होने के बाद अपने पांचवें मैच में पाकिस्तान के खिलाफ 148 रनों की शानदार पाली खेली। 15 चौके और 4 छक्के लगाए। फिर उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। इंडियन टीम में अपनी जगह पक्की कर ली। उन्होंने अपने जीवन की सर्वश्रेष्ठ पाली जयपुर के मैदान पर श्रीलंका के खिलाफ खेली। 183 रनों की पाली थी। जिसमें उन्होंने 15 चौके और 10 छक्के लगाए थे। धोनी के नाम आज भी जितने रिकॉर्ड और उपलब्धियां हैं। उसे लंबे अरसे तक नहीं भूलाया जा सकता।
वरिष्ठ पत्रकार प्रभात कुमार ने धोनी की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि धोनी का 7 सबसे फेवरेट अंक रहा है। दुनिया के सबसे श्रेष्ठ फिनिशर रहे। स्टांपिंग तो लाजवाब रही। दुनिया के सबसे फास्टेस्ट स्टंपिंग का रिकॉर्ड उनके नाम है। सबसे ज्यादा स्टंपिंग का भी रिकॉर्ड उनके नाम है। भारत के एक सफल कप्तान रहे हैं। लगातार दो बार आईसीसी बेस्ट क्रिकेटर का अवार्ड जीता है। भारतीय टीम को तीनों फॉर्मेट में चैंपियन बनाने का गौरव प्राप्त किया और इंडियन विकेटकीपर के रूप में उनकी कामयाबी के आस-पास कोई नहीं है।