Electrol Bond: चुनाव आयोग ने जारी किया इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डेटा, बीजेपी को मिला 60 अरब का चंदा

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चुनाव आयोग ने जारी किया इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डेटा

Electrol Bond: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सुप्रीम कोर्ट के सख्ती के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड्स का डाटा को चुनाव आयोग को सौंप दिया है। इसके बाद, चुनाव आयोग ने Electrol Bond से संबंधित सूचनाओं को अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिया है।

SBI का Electrol Bond पर कदम

उदय कुमार पाण्डेय । दिल्ली : भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने उच्चतम न्यायालय के सख्ती के बाद, Electrol Bond से संबंधित डेटा चुनाव आयोग को सौंपा दिया हैं। इसके बाद, चुनाव आयोग ने इस जानकारी को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध कराया है। इलेक्टोरल बॉन्ड्स के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट आज एक महत्वपूर्ण सुनवाई करेगी। चुनाव आयोग को 15 मार्च (आज) की शाम 5 बजे तक इस डेटा को वेबसाइट पर साझा करने की सलाह दी गई थी।

उच्चतम न्यायालय का निर्णय

चुनाव आयोग द्वारा वेबसाइट पर साझा किया गया डेटा, 12 अप्रैल 2019 से लेकर 1,000 रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये मूल्य तक के इलेक्टोरल बॉन्ड्स की खरीद से संबंधित जानकारी को शामिल करता है। इस जानकारी में उन कंपनियों और व्यक्तियों की विस्तृत जानकारी है, जिन्होंने ये बॉन्ड्स खरीदे थे, साथ ही उन राजनीतिक दलों का विवरण भी है जिन्हें यह चंदा प्राप्त हुआ था।उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए, SBI ने इन समाप्त हो चुके इलेक्टोरल बॉन्ड्स की खरीद से संबंधित संस्थानों की विस्तृत जानकारी मंगलवार की शाम को प्रस्तुत की थी। इस जानकारी में उन राजनीतिक दलों का भी विवरण शामिल था, जिन्हें ये बॉन्ड्स प्राप्त हुए थे।

पारदर्शिता और जवाबदेही

Electrol Bond
#इलेक्टोरल बॉन्ड

इस घटनाक्रम के जरिए, चुनाव आयोग ने सार्वजनिक पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। Electrol Bond की खरीदारी और उपयोग की जानकारी को सार्वजनिक करके, आम जनता को चुनावी फंडिंग के स्रोतों और उनके उपयोग की बेहतर समझ प्रदान की गई है। यह पहल चुनावी चंदे के प्रवाह में अधिक स्पष्टता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है।

वेबसाइट पर उपलब्ध यह डेटा, न केवल राजनीतिक पारदर्शिता को बढ़ावा देता है बल्कि यह नागरिकों को राजनीतिक फंडिंग के पैटर्न को समझने और उनके विश्लेषण में मदद करता है। इससे चुनावी प्रक्रियाओं में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी को भी बढ़ावा मिलता है।

विवाद और भविष्य की दिशा

हालांकि, Electrol Bond के मुद्दे पर विभिन्न हितधारकों के बीच विभिन्न विचार हैं। कुछ इसे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने का एक साधन मानते हैं, जबकि अन्य इसे अज्ञात स्रोतों से धन प्राप्त करने का एक माध्यम मानते हैं, जो चुनावी प्रक्रिया की शुचिता को प्रभावित कर सकता है। इस बहस में, सुप्रीम कोर्ट की भूमिका और निर्णय इस मामले में निर्णायक हो सकते हैं।

आगे, सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और निर्णय इस मामले में एक महत्वपूर्ण दिशा निर्देश प्रदान करेगा, जो भारत में चुनावी फंडिंग के भविष्य और रूपरेखा को आकार देने में मदद करेगा। इससे न केवल चुनावी फंडिंग के मामले में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी, बल्कि यह राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के बीच विश्वास और नैतिकता को भी मजबूत करेगा।

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