मिरर मीडिया : सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते आंकडों को देखते हुए परिवहन विभाग अब जिले में नए वाहनों के साथ पुराने वाहनों के रफ्तार को नियंत्रित करने के लिए स्पीड का गवर्नर लगाना अनिवार्य कर दिया है। साथ ही पुराने वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र भी स्पीड गवर्नर लगने पर ही दिया जाएगा। फिलहाल स्पीड गवर्नर केवल व्यवसायिक वाहनों के लिए अनिवार्य किया गया।
स्पीड गवर्नर एक ऐसा उपकरण है जो कि वाहनों की गति को नियंत्रित करता है। नए वाहनों में स्पीड गवर्नर शोरूम से गाड़ी निकालते वक्त लगा कर दी जाती है जिसकी कीमत 8 से 10 हजार रुपए तक है। जबकि पुराने वाहनों में यह सुविधा नहीं दी जाती थी। स्पीड गवर्नर वाहनों की रफ्तार को तय सीमा से अधिक बढा़ए जाने पर इंजन में ईंधन की सप्लाई बंद कर देती है।
जिस कारण इंजन में फ्यूल सप्लाई कम होने के कारण इंजन बंद हो जाएगा। साथ ही पुनः स्पीड कम करने पर फ्यूल सप्लाई चालू हो जाएगी। सड़क हादसे को रोकने के लिए दो प्रकार के स्पीड गवर्नर होते हैं। दूसरा स्पीड गवर्नर एक्सीलेटर को नियंत्रित करता है। इसमें तय स्पीड के बाद भी एक्सीलरेटर के दबाने के बाद भी स्पीड नहीं बढ़ती है।
वाहनों में अधिकतर हादसे अधिक रफ्तार होने के कारण होती है इसको लेकर सरकार की ओर से डीलरों को अधिकृत किया गया है। सभी वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाने अनिवार्य कर दिया।
जिले में परिवहन विभाग ने बिना स्पीड गवर्नर लगे हुए 287 व्यवसायिक वाहनों का फिटनेस रोक दिया है। मोटर यान निरीक्षण फिटनेस से पूर्व एक-एक वाहनों मे एसएलडी का भौतिक सत्यापन कर रहे हैं। उसके बाद संबंधित वाहनों को फिटनेस दिया जाएगा।