बिहार में भ्रष्टाचार में सरकारी कर्मचारी आकंठ डूबे हुए हैं। राज्य के विभिन्न विभागों में काम कर रहे करीब 4200 लोकसेवकों पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप हैं। निगरानी विभाग की रिपोर्ट में यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।ताजा खुलासे के मुताबिक, राज्य में करीब 4200 सरकारी कर्मचारी और 696 प्राइवेट लोग भ्रष्टाचार के दलदल में बुरी तरह फंसे हुए हैं। निगरानी विभाग ने निगरानी अन्वेषण ब्यूरो, विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) और आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) में दिसंबर 2024 तक दर्ज इन कांडों की सूची संबंधित विभागों, प्रमंडलीय आयुक्त और जिलाधिकारियों को भेज दी है, ताकि इनके खिलाफ आगे की कार्रवाई की जा सके।

सबसे ज्यादा मामले शिक्षा विभाग में
सबसे ज्यादा मामले शिक्षा विभाग में दर्ज हुए हैं। अकेले इस विभाग में 962 लोकसेवकों पर केस चल रहे हैं, जिनमें 400 से ज्यादा शिक्षक शामिल हैं। इनमें से अधिकांश शिक्षक मुजफ्फरपुर के मीनापुर, कांटी, सरैया, गायघाट, पारू, बोचहां और मुशहरी जैसे इलाकों से हैं। यह देखकर साफ है कि शिक्षा व्यवस्था की जड़ें कितनी गहरी चुनौतियों से जूझ रही हैं।
किन विभागों में कितने मामले
शिक्षा के बाद, पंचायती राज विभाग में भी 333 मामलों में जांच जारी है, जिनमें मुखिया जैसे जनप्रतिनिधि आरोपी हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के तहत आने वाले 247 मामलों में कई जिलाधिकारी, उपविकास आयुक्त, बीडीओ और वरिष्ठ पदों पर तैनात अधिकारी शामिल हैं। बिहार पुलिस के 245, भूमि सुधार विभाग के 193 और ग्रामीण विकास विभाग के 130 अधिकारी भी आरोपों की जद में हैं।
दागी कर्मचारियों को नहीं मिलेगी पदोन्नति
बता दें कि अब इन दागी कर्मचारियों को पदोन्नति नहीं मिलेगी। निगरानी विभाग ने साफ किया है कि 30 जून 2025 तक दर्ज मामलों में शामिल कर्मियों के प्रमोशन पर रोक रहेगी। उन्हें स्वच्छता प्रमाणपत्र देने की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि उनकी स्थिति पहले से रिकॉर्ड में है।