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ओबी डंप की संपूर्ण जवाबदेही BCCL की, DGMS द्वारा कोर्ट ऑफ इंक्वारी की जरूरत

BCCL एवं आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा नदी एवं रैयतो की जमीन पर ओबी डंप का मामला तूल पकड़ता जा रहा है, आउट सोर्सिंग कंपनियां,जो की बीसीसीएल के लिए कोयला खनन का कार्य करती है, फायदा बीसीसीएल को होता है ऐसे में ओबी डंप करने के मामले में BCCL प्रबंधन पर कार्रवाई की जरूरत है क्योंकि उनके ही दिशा निर्देश के अनुसार आउट सोर्सिंग कंपनिया द्वारा काम किया जाता है ऐसे में लगातार हो रही झड़प, बमबाजी और फायरिंग में प्रबंधन तो चुप्पी साध लेता है मगर बीच में पीसना पड़ता है ग्रामीणों को, जबकि प्रशासन हर मोर्चे के लिए तैयार रहती है और कार्रवाई भी करती है मगर ,बीसीसीएल जो कि सिर्फ और सिर्फ जिम्मेवार है वह मौन बैठा रहता है ओबी डंप को लेकर कई बार विवाद के मामले सामने आए है, पुर्व में विधायक सरयू राय ने भी मामले को गंभीरता से उठाया था इसे लेकर वो कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा चुके हैं

विगत दिनों देव प्रभा आउटसोर्सिंग एजेंसी के समर्थकों द्वारा सुरंगा में ओबी डंप को लेकर हुए विवाद में गोलीबारी और बमबाजी की घटना यह साबित करती है कि बीसीसीएल के अधीन आउटसोर्सिंग कंपनियां उनके नियंत्रण से बाहर है और BCCL उन्हें मॉनिटरिंग नहीं कर रही है,जबकि पुलिस प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए देवप्रभा आउट सोर्सिंग के कुम्भनाथ सिंह समेत 8 पर नामजद जबकि 25 अज्ञात पर प्राथमिकी दर्ज की है वही एक की गिरफ्तारी भी हुई है ,मगर BCCL प्रबंधन का तमाशाबीन बनना कई सवाल खड़े करते हैं .संपूर्ण मामले में पहली जवाबदेही BCCL की बनती है ,क्योंकि जिसके लिए खनन का कार्य हो रहा है कोयला बेच कर फायदा इन्हें हो रहा है, तो जिम्मेवारी भी इन्ही की बनती है

क्या हैं नियम

ओबी डंप के लिए नदी या आवासीय स्थल से 350 फीट की दूरी होनी चाहिए साथ ही कंटीले घेराबंदी भी होनी जरुरी है ताकि किसी का प्रवेश न हो सके, काफी मात्रा में प्लांटेशन भी होने चाहिए, ताकि प्रदूषण न फैले वही डंप सीधे खड़े नहीं होने चाहिए एक ऊँचाई के बाद स्लैब के अनुसार इनका ढांचा भी होना चाहिए
पर इन सभी नियमों को दरकिनार करते हुए जिले में BCCL और इसके अधीन कार्यरत आउटसोर्सिंग कंपनियां लगातार ओबी डंप कर रही है।

माइंस एक्ट,के अनुसार DGMS को करना है कोर्ट ऑफ इंक्वायरी
वही माइन्स एक्ट 1952 / CMR 2017 के अनुसार डीजीएमएस को कोर्ट आफ इंक्वारी बना कर इसकी जांच करनी चाहिए,क्योंकि माइन्स एक्ट का रेगुलेटरी बॉडी DGMS हैं ऐसे में माइंस सेफ्टी में नियमो की अनदेखी को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से पहले DGMS को आगे आकर जिम्मेवारी लेकर कार्रवाई करने की जरूरत है मगर DGMS भी यहां मौन है

जबकि विगत नवंबर माह में जबरन ओबी डंप मामले में तत्कालीन बलियापुर अंचल अधिकारी ने BCCL और आउटसोर्सिंग कंपनी AT देवप्रभा पर प्राथमिकी दर्ज करवाई थी, तत्कालीन उपायुक्त संदीप सिंह ने डीटी और BCCL CMD को पत्र लिख उनके खनन क्षेत्र की पुरी जानकारी मांगी थी इस सम्बंध में तीन बार रिमाइंडर भी दिया जा चुका है मगर 2 साल बीत जाने के बाद भी BCCL प्रबंधन ने अब तक अपने खनन क्षेत्र का पूरा ब्यूरो देना उचित नही समझा आखिर BCCL प्रबंधन क्या छुपाना चाहती है क्यों नहीं जिला प्रशासन को अब तक मांगे गए विवरण दे रही है, यहां भी BCCL की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं
वहीं देखा जाए तो इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जांच कार कार्रवाई की जानी चाहिए। कुल मिलाकर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से पहले बीसीसीएल प्रबंधन की जवाबदेही बनती है क्योंकि उन्ही के खनन क्षेत्र में आउट सोर्सिंग कंपनियां खनन करती है ऐसे में हर मोर्चे पर बीसीसीएल को आगे बढ़कर पहल करने की जरूरत है

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