एक मई को दलमा पहाड़ पर सेंदरा, नहीं होगा जानवरों का शिकार
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जमशेदपुर : दलमा पहाड़ पर हर वर्ष किए जाने वाले दिशुवा सेंदरा में सिर्फ पारंपरिक हथियारों का ही प्रयोग किया जाएगा।सेंदरा में जाल, फांस, बंदूक आदि का प्रयोग वर्जित रहेगा। यह बातें दलमा बुरु सेंदरा दिशुवा समिति के अध्यक्ष फकीर सोरेन ने कहीं। उन्होंने कहा कि सेंदरा में केवल पारंपरिक हथियार के साथ ही दिशुवा सेंदरा परंपरा का निर्वाह करें। आसनबनी दिशुवा धाम, दुर्गा मंदिर मैदान में इस वर्ष होने वाले सेंदरा को लेकर दलमा बुरु सेंदरा दिशुवा समिति की बैठक हुई। समिति के अध्यक्ष फकीर सोरेन की अध्यक्षता में हुई बैठक में बुद्ध पूर्णिमा के अगले सोमवार यानि एक मई को दलमा पहाड़ पर सेंदरा पर्व मनाने का निर्णय लिया गया। बैठक में चांडिल प्रखंड के पूर्व उप प्रमुख सह आसनबनी के ग्राम प्रधान प्रबोध उरांव ने कहा कि दलमा पहाड़ पर मनाए जाने वाले सेंदरा की रूपरेखा बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति प्रेमी है। इसलिए जल, जंगल, जमीन, जीव-जंतु आदि का संरक्षण करना भी हमारा दायित्व है। जंगल व जीव-जंतु बचेंगे तो हमारा अस्तित्व बचेगा और हमारी परंपरा बचेगी। मौके पर आसनबनी पंचायत के पूर्व मुखिया सह समिति के उपाध्यक्ष गुरुचरण सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में दलमा पहाड़ में जीव-जंतुओं की संख्या काफी कम हो गई है। कई तो विलुप्त होने के कगार पर हैं। ऐसे में सेंदरा के दौरान जानवरों का शिकार नहीं करना ही उचित है। इस अवसर पर समाजसेवी नित्यानंद महतो ने कहा कि दलमा पहाड़ में जीव-जंतुओं की कमी और सेंदरा संस्कृति को ध्यान में रखते हुए ऐसे कार्यक्रम बनाये जाने चाहिए जिसे परंपरा, प्रकृति व जीव-जंतु सभी का संरक्षण हो सके। समाज के लोगों के साथ सेंदरा वीरों को जागरूक करने के लिए सरकार और विभाग को भी जागरूकता कार्यक्रम चलाने की जरूरत है। बैठक में आसनबनी पंचायत के उप मुखिया प्रदीप महतो, सुनील चंद्र उरांव, डॉ सत्य नारायण मुर्मू, निरंजन गौड़, रहिण चंद्र मुदी, दयानिधि दास, ज्योति सिंह, फटिक मुदी, रमेश महतो समेत अन्य कई लोग उपस्थित थे।