बसंत पंचमी पर याद किए गए धर्मवीर हकीकत राय, जमशेदपुर सहित देश और विदेश के अनेक भागों ने लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए

Anupam Kumar
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  • धर्मवीर हकीकत राय का कत्ल बसंत पंचमी के दिन हुआ था

हिंदू पीठ ओसी रोड (कांतिलाल मेडिकल हॉस्पिटल के सामने) जमशेदपुर में भारतीय जन महासभा के अनेक लोगों ने हकीकत राय के चित्र पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए ।

इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने बताया कि वह मुसलमानों का राज्य काल था । उस समय तक भारत की सामान्य जनता सर्वथा अनपढ़ हो चुकी थी । हकीकत के पिता को हकीकत राय को पढ़ने के लिए मकतब में भेजना पड़ा था ।

मकतब में मुसलमान लड़कों ने मां दुर्गा को गाली दी तब हकीकत राय ने भी उनकी देखा-देखी फातिमा के बारे में कुछ कहा । इस प्रकार झगड़ा हो गया ।
मकतब के मुल्ला ने बीच-बचाव कर मामले को शांत कराना चाहा । मुसलमान लड़कों ने मुल्ला को धमकी दी कि वे काजी से इसकी शिकायत करेंगे । मुल्ला डर गया ।
मामला सियालकोट के काजी के पास पहुंचा ।

जब सियालकोट के काजी को बताया गया कि मुसलमान लड़कों ने पहले दुर्गा भवानी के प्रति अपशब्दों का प्रयोग किया था तो उसने उनके मुसलमान होने के कारण उन्हें दंडनीय नहीं माना ।

काजी का फतवा था कि हकीकत राय ने अपराध किया है और उस अपराध के लिए मृत्युदंड का विधान है और फिर मामले को सुबे के हकीम के पास भेजा गया ।

हकीकत राय को जब लाहौर के हाकिम के सम्मुख उपस्थित किया गया तो उसने हकीकत राय से पूछा ” तुम मुसलमान क्यों नहीं हो जाते “
हकीकत राय ने बुद्धि शील हिंदू बालक की भांति सहज ही इसका उत्तर देते हुए कहा ” मुझ पर जो अभियोग लगाया गया है और जिस अपराध में मुझे दंड दिया गया है उसका संबंध मेरे मत-परिवर्तन से नहीं है ।
जो अपराध मैंने किया है मेरे मकतब में पढ़ने वाले उन मुसलमान विद्यार्थियों ने भी वही अपराध किया है । उन्होंने मेरी आराध्या दुर्गा भवानी के प्रति अपशब्दों का प्रयोग किया है इसलिए जो कुछ भी दंड उन मुसलमान लड़कों को दिया जाना चाहिए वही मुझको भी दिया जाए । “

काजी का फैसला ही लाहौर के हाकिम को कुरान की शरा के नाम पर बरकरार रखने के लिए विवश कर दिया ।
फैसला था कि अगर कोई मुसलमान किसी अन्य धर्म के देवी-देवताओं को गाली देता है तो वह अपराध नहीं है और
अगर कोई गैर मुस्लिम इस्लाम की तौहीन करता है या उसके पैगंबर के बारे में कुछ अपमानजनक बातें कहता है तो वह अपराध है । ऐसा कहने वाले को मृत्युदंड दिया जाना है ।

हकीकत राय को कहा गया कि मुसलमान बन जाओ या कत्ल होने के लिए तैयार हो जाओ ।

हकीकत राय का कथन था कि उसने किसी के कहने से हिंदू धर्म स्वीकार नहीं किया था। वह परमात्मा की इच्छा के अनुरूप ही हिंदू माता-पिता के घर में उत्पन्न हुआ है । वह मुसलमान बनकर परमात्मा की आज्ञा के उल्लंघन का अपराधी नहीं बन सकता है । वह कदापि अपना धर्म नहीं छोड़ेगा ।

हकीकत राय को लाहौर नगर के बाहर रावी के किनारे पर नगर से 3 मील लगभग के अंतर पर तलवार से कत्ल किया गया था ।
हत्या के उपरांत हकीकत राय का शव उसके संबंधियों को दे दिया गया ।
उन्होंने वही रावी के तट पर ही उसका दाह संस्कार कर दिया ।
इस अत्याचार से यह समझा जाता है कि हिंदुस्तान में इस्लामी राज्य की जड़े हिल गई थी ।

लाहौर नगर से तीन-चार मील दूरी पर रावी नदी के तट पर खोजेशाह के कोर्ट के क्षेत्र में हकीकत राय की समाधि बनाई गई । उसके बाद लाहौर के हिंदुओं ने वहां मेला लगाना आरंभ किया । बसंत पंचमी के दिन जब धर्मवीर हकीकत राय की हत्या की गई थी , प्रतिवर्ष लाहौर के सहस्त्रो नर नारी वहां एकत्रित होते थे और अपने श्रद्धा के फूल समाधि पर चढ़ाते थे ।
जब तक सन 1947 में भारत का विभाजन नहीं हो गया और लाहौर पाकिस्तान का अंग नहीं बन गया तब तक यह मेला जुड़ता ही रहा , किंतु अब सुना गया है कि पाकिस्तान सरकार ने उस स्थान पर समाधि के चिन्ह तक को मिटा दिया है ।

बटाला में हकीकत राय की पत्नी की समाधि बनाई गई है । वह स्थान तो भारत में ही है और यह सुना जाता है कि वहां के लोग प्रतिवर्ष एकत्रित होकर सती – साध्वी की समाधि पर श्रद्धा के फूल अर्पित करते हैं ।

इस अवसर पर राष्ट्रीय सचिव बसंत कुमार सिंह ने कहा कि धर्मवीर हकीकत राय की समाधि जो 1947 के पश्चात पाकिस्तान ने तोड़कर खत्म कर दी है , उस स्थान पर फिर से समाधि बनाने की मांग भारत सरकार को पाकिस्तान के सामने रखनी चाहिए ।

इस अवसर पर हिंदू पीठ के अध्यक्ष अरुण सिंह ने डॉ गोकुल चंद नारंग की पंक्तियों को उद्धृत किया —

“अगर हिंदुओं में है जान कुछ बाकी
शहीदों बुजुर्गों की पहचान बाकी
शहादत हकीकत की मत भूल जाएं
श्रद्धा से फूल उस पर भी अब भी चढाएं”

इस अवसर पर विशेष सलाहकार (राष्ट्रीय) श्री प्रकाश मेहता ने कहा कि हकीकत राय उन हिंदुओं में नहीं गिना जा सकता जिन्होंने अपने अधिकार को छोड़ दिया अथवा जो अपना अधिकार भी भूल चुके थे ।
हकीकत ने अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी । इस अवसर पर जमशेदपुर समेत देश-विदेशों से धर्मवीर हकीकत राय के चित्र पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

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