Jharkhand के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के PS के नौकर के घर से करोड़ों रूपये और दस्तावेज मिलने के बाद Jharkhand की राजनीति का पारा हाई हो गया है। झारखंड सरकार कैबिनेट में कांग्रेस पार्टी से मंत्री आलमगीर आलम अब मुश्किल में घिरते नजर आ रहें हैं।
राहुल गांधी की सभा में मंच पर नहीं दिखें Jharkhand के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम
कैशकांड के बाद से कांग्रेस पार्टी में Jharkhand के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम की छवि को लेकर अब चर्चा होने लगी है। चुनाव के माहौल में इतनी बड़ी मात्रा में नगद मिलने से झारखंड के चुनाव के समीकरण पर असर पड़ने लगा है। यह कहें कि ऐसी घटना के बाद कांग्रेस पार्टी मंत्री आलमगीर आलम से दूरी बनाना शुरू कर दी है। बता दें कि इसी क्रम में
मंगलवार को राहुल गांधी की सभा में मंच से वे अलग थलग दिखें। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि उन्हें मंच पर जगह नहीं मिली। जबकि राहुल गांधी के आगमन से लेकर चाईबासा और गुमला दोनों ही जगह हुई राहुल गांधी की जनसभाओं से उन्हें दूर रखा गया।
राहुल गांधी की छवि को साफ रखने के लिए ही उनके कार्यक्रम से दूर रखा गया आलमगीर को
बताया जा रहा है कि आलमगीर को फोन कर सभा में आने से स्पष्ट तौर पर मना कर दिया गया। Jharkhand में करोड़ों के नगदी बरामद होने के कारण ही माना जा रहा है कि राहुल गांधी की छवि को पाक-साफ और गैरविवादित रखने के लिए आलमगीर को उनके कार्यक्रम से दूर रखा गया।
ग्रामीण विकास विभाग के ठेके में बड़े पैमाने पर कमीशन लेने देने का खेल
गौरतलब है कि ED के अधिकारियों के अनुसार ग्रामीण विकास विभाग के ठेके में बड़े पैमाने पर कमीशन लेने देने का खेल हुआ है। जिसकी रकम को रखने के लिए ही फ्लैट की खरीदी की गई थी। हाल के दिनों में ठेकों से कमीशन की राशि यहां रखी गई थी। ED की जांच में यह बात सामने आई है कि ठेकेदारों के खास समूह को ही ठेके का आवंटन होता था।
मंगलवार को फिर ED की टीम ने कई और अन्य ठिकानों पर छापेमारी कर कैश किये जब्त
विदित हो कि सोमवार को ग्रामीण विकास मंत्री के सचिव के नौकर के यहां से कैश बरामदगी होने के बाद मंगलवार को फिर ED की टीम ने कई और अन्य ठिकानों पर छापेमारी की जिसमें एक ठेकेदार के घर से 2 करोड रुपए से अधिक की रकम सहित डिजिटल उपकरण बरामद किये गए हैं।
चुनाव में असर ना पड़े इसलिए चुनाव अभियान से दूर रखने की कवायद
इधर मौके की तलाश में भाजपा ने भी इस कैशकांड मामले को बखूबी उठा दिया है जबकि
कुल मिलाकर यह कहना श्रेष्ठकर होगा कि आलमगीर आलम के कारण इस लोकसभा चुनाव में कहीं उल्टा असर ना पड़ जाए इसलिए अब ग्रामीण विकास मंत्री को चुनाव अभियान से दूर रखने की कवायद देखी जा रही है। जो भी हो अगर स्थिति ऐसी रही तो इनके लिए खतरे की घंटी बज चुकी है।