जमुई: विगत 18 दिनों से जिले के 10 प्रखंडों में चल रहा महिला संवाद कार्यक्रम महिलाओं के सशक्तिकरण की मिसाल बनता जा रहा है। यह कार्यक्रम न केवल महिलाओं को सरकार की योजनाओं की जानकारी दे रहा है, बल्कि उन्हें अपने अधिकारों की पहचान कराने में भी मदद कर रहा है।
महिलाएं अब सिर्फ बुनियादी सुविधाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि स्वरोजगार, प्रशिक्षण और आर्थिक आत्मनिर्भरता की मांग कर रही हैं। संवाद कार्यक्रम में महिलाएं अपने अनुभव, संघर्ष और सफलता की कहानियां साझा कर रही हैं। यह मंच उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ साहस और आत्मबल भी दे रहा है।
हर दिन 11 संवाद रथों के माध्यम से 22 गांवों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिसमें लगभग 5,000 महिलाएं नियमित रूप से भाग ले रही हैं। अब तक 385 ग्राम संगठनों में संवाद हो चुका है। 45 मिनट के वीडियो से महिलाएं योजनाओं को समझ रही हैं और अपने भीतर छिपी आकांक्षाओं को बाहर ला रही हैं।
कार्यक्रम के दौरान महिलाओं को लीफलेट और मुख्यमंत्री का संदेश पत्र भी वितरित किया जा रहा है। साथ ही नशामुक्ति, दहेज प्रथा और बाल विवाह के उन्मूलन को लेकर शपथ भी दिलाई जा रही है।
झाझा प्रखंड में महिला किसानों ने सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली और कृषि नवाचार हेतु प्रशिक्षण केंद्र की मांग की। बीड़ी बनाने वाली महिलाओं ने पापड़-आचार जैसे छोटे उद्योगों के लिए बाज़ार की मांग की।
अड्सार पंचायत के ककवा मुसहरी की महिलाओं ने लाइब्रेरी, सोलर लाइट और सामुदायिक शौचालय की आवश्यकता बताई। वहीं ई.अलीगंज प्रखंड में महिलाओं ने सतत जीवकोपार्जन योजना में उन गरीब परिवारों को भी शामिल करने की मांग की जिनकी मासिक आय 5,000 रुपये से कम है।
महिला संवाद ने साबित किया है कि जब महिलाओं को मंच मिलता है, तो वे सिर्फ अपनी नहीं, पूरे समाज की आवाज़ बन जाती हैं।