नहीं छूटता कोयलांचल से कुछ अधिकारियों का मोह : जमा रखें है वर्षों से कई विभागों में धमक ये महज इत्तेफ़ाक़ है या पैसों का चमक : जल्द उठेगा इस राज़ से पर्दा….
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कोयलांचल से अधिकारियों का नही छूट रहा मोह
अंचल अधिकारी से अपर समाहर्ता के बाद निगम में बड़े अधिकारी तक का सफर
अंचल अधिकारी से अनुमंडल पदाधिकारी तक का सफर
अंचलाधिकारी से बंदोबस्त विभाग तक का सफर
निगम में सहायक पद के बाद परिवहन विभाग का सफर
एक ही जिला में करीब 6 साल तक अंचल अधिकारी बनकर भी है जमे
प्रखंड विकास पदाधिकारी कभी गोबिन्दपुर तो कभी टुंडी तक का सफर
कोई निगम के वरीय अधिकारी तो कोई अनुमंडल पदाधिकारी के पद पर आसीन
किसी का बंदोबस्त विभाग का सफर तो कोई 2 बार से है प्रखंड विकास पदाधिकारी
कोई 6 साल से सीओ बन कर हैं जमे तो किसी का परिवहन विभाग का सफर
मिरर मीडिया : छोड़ेंगे ना हम तेरा साथ ओ साथी मरते दम तक….. चौँकिये नहीं ज़नाब! ये फ़िल्मी गीत धनबाद के उन चुनिंदा अधिकारीयों के लिए है जिनका मोह धनबाद से कुछ ऐसा है कि छुड़ाए नहीं छूटता है। इन अधिकारियों का कोयलांचल के प्रति कुछ ऐसा मोह हो चूका है कि धनबाद को छोड़ दूसरी जगह रह ही नहीं पाते आलम ये है कि किसी न किसी रूप में कोयले की खान में अपनी धमक को बरकरार रखते हुए किसी न किसी रूप में धनबाद में टिके हुए हैं जबकि दूसरे जिलों का भ्रमण करने के बाद फिर धनबाद में आकर जम जाते हैं।
हालांकि धनबाद तो धन से आबाद है और हो भी क्यूँ ना देश में सबसे ज्यादा कोयले से राजस्व के साथ रेलवे में भी अहम् भागीदारी जो निभाती है। यहाँ तो मानो पैसा बोलता है। वहीं वर्षो से अड्डा और धाक जमाए अधिकारी ये भलीभांति जानते है और धनबाद की आबोहवा से पूरी तरह परिचित हो चुके हैं इन्हें धनबाद कोयलांचल की हर एक चीज के बारे में जानकारी है इन्हें यह भी मालूम है कि किस तरह से, कहाँ से और कैसे यहां पर रहकर उगाही करनी है।

जबकि कई ऐसे अधिकारी अभी भी प्रतीक्षारत है जो स्थान परिवर्तन की कब से आस लगाए बैठे हैं लेकिन उन्हें उनके मनचाहे स्थान पर तबादला नहीं मिल पाता। लिहाज़ा यहाँ यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि सत्ता में बैठे शीर्ष नेताओं के संरक्षण में प्रमोशन और तबादले का खेल चल रहा है और ये मिलकर मोटी रकम के उगाही करते हैं। यही कारण है कि आज ईडी कई लोगों के गिरेबान में हाथ डाल चुकी है और अब धनबाद के भी कुछ अधिकारी ईडी के रडार पर हैं

सूत्रों की माने तो मनचाहे स्थान पर मनचाही कमाई को लेकर अधिकारी से तबादले को लेकर मोटी रकम की डिमांड की जाती है जबकि अलग-अलग विभाग के लिए अलग-अलग कीमत तय की जाती है अधिकारी उसके अनुसार मोटी रकम पहुंचाते हैं जिसके बाद उनके मनचाहे स्थान पर उन्हें तबादला कर दिया जाता है। हालांकि तबादला का ये खेल भी पुराना है पर बिना लिए दिये ये लगता नहीं है।
पर दिल थाम के बस इंतजार कीजिये बहुत जल्द इस खेल से पर्दा उठाया जाएगा। वे कौन से अधिकारी हैं जो कितने दिनों से धनबाद में जमे हैं और गणेश परिक्रमा कर धनबाद में फिर आ जा रहे हैं ये संयोग नहीं बल्कि दुरूपयोग किया जा रहा है सत्ता का, शासन का, पैसे का और ताकत का…!
To be continued…