मिरर मीडिया, रांची: झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के एक शिष्टमंडल द्वारा शुक्रवार को अपनी 11 सूत्री मांग को लेकर मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को ज्ञापन सौंपा गया।
इस दौरान प्रदेश महामंत्री अशोक सिंह “नयन”, उपाध्याक्ष देवन्ती देवी, संयुक्त मंत्री सुशांत कु० साहू, संयुक्त मंत्री रेखा मंडल, कार्यालय मंत्री आई बी० रानी खलको एवं अमित महतो मौजूद रहें।
शिष्टमंडल का नेतृत्व करते हुए अशोक सिंह “नयन” ने 11 सूत्री राज्य स्तरीय मांग मुख्यमंत्री को समर्पित करते हुए कहा कि झारखंड राज्य के राज्यकर्मी जिसमें नियमित, अनियमित, संविदा, अनुबंध, स्वास्थ्य सहिया, सहिया दीदी, B.T.T , S-T.T., NHM, जल सहिया, आंगनवाडी सेविका सहायिका, पशु पालन, A.I. कर्मचारी, पोषण सखी, दैनिक मजदूर, बाउट सोर्स कर्मी एवं रिम्स कर्मचारियों से संबंधित उक्त मांग को प्रदर्शन के माध्यम से सौंपा गया था। किन्तु
अफसोस है कि बिन मांगों पर अब तक सरकार के स्तर से आवश्यक कार्रवाई का घोर अभाव रहा है। बाध्य होकर
पुनः मुख्यमंत्री महोदय को समर्पित करते हुए आग्रह किया गया कि राज्य हित एवं कर्मचारी हित में 11 सूत्री मांगों को पूरा किया जाए ।
जिसमें मुख्यत: तृतीय वर्ग के कर्मीयों का ग्रेड पे
2400 रुपये किया जाए, व चतुर्थ वर्ग के कर्मियों को तृतीय वर्ग में प्रोन्नति किया जाय, स्वास्थ्य विभाग के सहिया, सहिया- साथी, B.TT, S.T.T., पारा मेडिकल कर्मियों का संवर्गीय नियमावली बनाई जाय एवं समान काम समान वेतन लागू की जाय, NHM कर्मियों का मानदेय में 15% की बढ़ोतरी, रिम्स रॉची कर्मियों को पुरानी पेंशन योजना में शामिल किया जाय।
साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयानुसार आंगनवाडी सेविका एवं सहायिका को पूर्ण सरकारी कर्मचारी घोषित की जाय, बाल विकास परियोजना में कार्यरत संविदा कर्मियों को नियमित करते हुए 60 वर्ष उम्र सेवा की गारंटी दी जाय। छ्टनीग्रस्त पोषन सखी को सरकारी सेवा में पुनः वापस ली जाय। जलसरिया एवं पशुपालन ए.आई वर्कर को संविदा कर्मचारी घोषित की जाय, सभी राज्य कर्मियों की उम्र सीमा 65 वर्ष की जाय। मनरेगा कर्मियों को नियमित किया जाय, राजभाषा कर्मियों को समाहरणालय संवर्ग में समाहित की जाय, अवैतनिक चौकीदार को नियमित करते हुए सरकारी कर्मचारी घोषित की जाय एवं संघ / महासंघ के पदधारकों का उनके कार्य काल में स्थानान्तरण पर रोक लगायी जाय।
अशोक सिंह “नयन” ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री ने सभी मांगों को गम्भीरतापूर्वक सुना है । हमे पूरा उम्मीद है कि
फैसला कर्मचारियों के हित में ही होगा।