झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार ने महिला विकास विभाग को अलग से किसी मंत्री को नहीं सौंपा है, बल्कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद इस विभाग की जिम्मेदारी संभालेंगे। राज्य के 24 साल के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब महिला एवं बाल विकास विभाग को किसी अलग मंत्री को नहीं सौंपा गया है। इस फैसले ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नई चर्चा छेड़ दी है।
महिला विकास विभाग का ऐतिहासिक महत्व
झारखंड में महिला एवं बाल विकास विभाग का महिलाओं और बच्चों के कल्याण में अहम योगदान रहा है। इसके तहत 30 से अधिक योजनाएं चलाई जाती हैं, जिनमें मंईयां सम्मान योजना सबसे प्रमुख है। इस योजना ने 2024 विधानसभा चुनावों में हेमंत सोरेन सरकार की सत्ता वापसी में अहम भूमिका निभाई।
मंईयां योजना के तहत 18-50 वर्ष की महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा के तहत ₹1000 प्रतिमाह दिए जाते हैं। मुख्यमंत्री ने इस राशि को बढ़ाकर ₹2500 करने की घोषणा की है। इसके अलावा, महिलाओं की सालाना आय ₹1 लाख सुनिश्चित करने की योजना पर भी काम हो रहा है।
महिला विकास विभाग अपने पास रखने के कारण
विश्लेषकों का मानना है कि हेमंत सोरेन महिलाओं के लिए किए गए कल्याणकारी कार्यों का पूरा श्रेय खुद लेना चाहते हैं। यह विभाग राज्य की महिलाओं के बीच सरकार की लोकप्रियता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन, जो गांडेय से विधायक और झामुमो की प्रमुख महिला चेहरा हैं, भी राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं। उनके माध्यम से महिलाओं के लिए किए गए कामों को पार्टी के प्रचार अभियान में शामिल किया जा सकता है।
कैबिनेट में महिलाओं की भूमिका
इस बार झामुमो ने अपने कोटे से किसी महिला मंत्री को कैबिनेट में शामिल नहीं किया। पिछली सरकार में जोबा मांझी और बेबी देवी महिला मंत्री थीं, लेकिन इस बार महिला विकास विभाग सहित अन्य विभागों की जिम्मेदारी पुरुष मंत्रियों को सौंपी गई है।
कैबिनेट विभागों का बंटवारा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन: गृह, कार्मिक, पथ निर्माण, भवन निर्माण, महिला एवं बाल विकास।
राधा कृष्ण किशोर: वित्त, वाणिज्य कर, संसदीय कार्य।
रामदास सोरेन: शिक्षा और निबंधन।
दीपिका पांडे: ग्रामीण विकास और पंचायती राज।
शिल्पी नेहा तिर्की: कृषि, सहकारिता और पशुपालन।
अन्य मंत्रियों को परिवहन, स्वास्थ्य, जल संसाधन, उद्योग, और शहरी विकास जैसे विभाग सौंपे गए हैं।
राजनीतिक संकेत और हेमंत का कदम
हेमंत सोरेन का यह कदम उनके रणनीतिक सोच को दर्शाता है। महिला विकास विभाग की जिम्मेदारी अपने पास रखकर उन्होंने महिला वोट बैंक पर अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास किया है। अब देखना होगा कि यह फैसला झारखंड की राजनीति में क्या नया मोड़ लाता है।